(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
बेने : अरुणाचल प्रदेश के दूर-दराज के गांवों में अब यहां तैनात सशस्त्र बलों को लेकर धारणाएं बदलने लगी हैं। इन गांवों में रहने वाले स्थानीय जनजातीय के लोग जो कभी सशस्त्र बलों से डरे-डरे रहते थे, उनके लिए अब यही भारतीय सेना आशा और विश्वास का पर्याय बन गई है। यह सब संभव हुआ भारतीय सेना द्वारा लगातार किए जा रहे परोपकारी प्रयासों के कारण।
‘ऑपरेशन सद्भावना’ के तहत सेना के जवान न केवल यहां स्कूल भवनों के निर्माण, स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और खेल अवसंरचना के विकास में योगदान कर रहे हैं बल्कि स्थानीय लोगों की चिंताओं को दूर करने में भी लगे हुए हैं।
प्रदेश के दूर-दराज के कई गांवों में भारतीय सेना के जवान न केवल सीमाओं की सुरक्षा में तैनात हैं बल्कि यहां के लोगों के कल्याण के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं। उनके इन परोपकारी कार्यों से ग्रामीण लोगों के रोजाना के जीवन की कई मुश्किल आसान हो रही हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण लोग अब खुद आगे बढ़कर सेना को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं और सेना भी उनकी इन आंकाक्षाओं पर खरा उतरती है।
हाल ही में राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी पर राज्य के पश्चिमी सियांग जिले के बेने गांव में सेना ने एक सरकारी स्कूल के चारों ओर बाड़ लगाई है। सेना ने ऐसा उस स्कूल में पढ़ने वाले 50 बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए किया है। इस संबंध में सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल टुमटो एटे ने बताया, ‘‘हमें सेना से लगातार सहयोग मिलता है। सेना ने हाल में स्कूल के चारों ओर बाड़ लगा दी।” सेना के इस प्रयास के बाद स्कूल प्रशासन ने उनसे स्कूल को गोद लेने का अनुरोध भी किया है। स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल में आठ कमरे, स्मार्ट क्लासरूम और पूर्व छात्रों का एक संघ है।
इसी तरह, सेना की पूर्वी कमान ने स्थानीय ग्रामीणों के अनुरोध पर जिले के नजदीकी दारका गांव में एक सामुदायिक केंद्र का निर्माण भी किया है। कई सरकारी स्कूलों को सेना ने झूले भी उपहार में दिए हैं और सुरक्षा के लिए एक स्कूल के चारों ओर बाड़ लगाई। दारका गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मोबी एटे ने बताया कि सेना ने छात्रों के लिए झूले, फिसलपट्टी और अन्य खेल से संबंधित उपकरण दिए हैं। उन्होंने कहा, ” हमने उनसे स्कूल बिल्डिंग की छत की मरम्मत करने को भी कहा है।”
देश की ताजा खबरों के लिए क्लिक करें
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि दारका की दोजी बस्ती में एक पुल का निर्माण भी किया गया है, जबकि एक अन्य गांव में कम्पोस्ट उर्वरक मशीन स्थापित की गई है। इतना ही नहीं सुदूर वाक गांव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सेना ने एकमात्र ‘होमस्टे’ मालिक के लिए 15 दिवसीय आतिथ्य प्रमाणपत्र कार्यक्रम भी आयोजित किया है। सीमा सुरक्षा के साथ-साथ सीमाओं से सटे इन गांवों के लोगों के कल्याण के लिए सेना द्वारा किए जा रहे ये प्रयास वाकई काबिले तारीफ है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)