
ओरलिकॉन स्काईशील्ड सिस्टम। इमेज-एआई
Oerlikon Skyshield: सैन्य संघर्षों में ड्रोन हमलों की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए भारतीय सेना एयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम कर रही। इसी क्रम में शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (SHORAD) के लिए जर्मनी की कंपनी का ओरलिकॉन स्काईशील्ड (Oerlikon Skyshield) सिस्टम प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आया है। यह प्रणाली 5 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के ड्रोन्स, मिसाइल, हेलीकॉप्टर और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले फाइटर जेट्स को तबाह करने की अभूतपूर्व क्षमता रखती है।
आधुनिक युद्ध में ड्रोन और कम ऊंचाई वाली मिसाइलें बड़ा खतरा बन गई हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना ने 300-600 ड्रोन भारतीय सीमा में भेजे थे। उन्हें भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया था। इस अनुभव ने भारत को एयर डिफेंस को अपग्रेड करने की तत्काल जरूरत महसूस कराई है। भारत इजरायल के आयरन डोम और अमेरिका के गोल्डन डोम की तर्ज पर स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र विकसित कर रहा। साथ ही भारत तत्काल जरूरत को पूरा करने के लिए ओरलिकॉन स्काईशील्ड जैसे मॉडर्न विदेशी सिस्टम की तलाश में है।
ओरलिकॉन स्काईशील्ड को हर मौसम में काम करता है। यह तेजी से तैनाती को डिजाइन किया गया है। इसे ट्रक और कंटेनर पर कम समय में तैनात किया जा सकता है। इसका मॉड्यूलर डिजाइन इसे परिस्थिति के अनुसार जोड़ने और हटाने में बेहद आसान बनाया है। यह जंग के लिए अत्यधिक लचीला है। इसका ओपन आर्किटेक्चर इसे भविष्य में भारत की अपनी मिसाइलों जैसे आकाश-NG या QRSAM के साथ आसानी से इंटीग्रेट करने में मदद करेगा। इससे रक्षा की एक मजबूत, दोहरी परत तैयार होगी। सबसे बड़ी खूबी एडवांस्ड हिट एफिशियंसी डिस्ट्रक्शन (AHEAD) टेक्नोलॉजी है। इसमें गन से निकली गोलियां हवा में लक्ष्य के पास जाकर फटती हैं। टंगस्टन के छोटे-छोटे टुकड़े छोड़ती हैं। ये छोटे टुकड़े तेज रफ्तार से हवा के बीच में ड्रोन या क्रूज मिसाइल के अहम हिस्सों को चीरते हैं। यह तकनीक माइक्रो ड्रोन्स पर भी 90% से ज्यादा सफलता दर रखती है। इन पर सामान्य गोलियां असर नहीं करतीं।
इसमें 35 एमएम रिवॉल्वर गन Mk3 की दो गन लगी हैं। यह हर मिनट में 1,000 तक गोलियां दाग सकती हैं। गन पूरी तरह से ऑटोमैटिक हैं। बिना किसी सैनिक की मदद के लक्ष्य को नष्ट कर सकती हैं।
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इसमें VSHORAD मिसाइल सिस्टम को आसानी से जोड़ा जा सकता है। यह सुविधा कम दूरी की मिसाइलों जैसे-आकाश-NG या QRSAM के साथ मिलकर मजबूत लेयर्ड डिफेंस बनाएगी। मानवरहित सर्च एंड ट्रैकिंग सेंसर यूनिट 360 डिग्री पर निगरानी रखती है। 50 किलोमीटर दूर से खतरों का पता लगा सकती है। यह सिस्टम X-TAR3D रडार पर आधारित कमांड पोस्ट से संचालित होता है। यह रडार, कैमरा-सेंसर और अन्य सूचनाओं के आधार पर 10 सेकंड में लक्ष्य को मारने का निर्णय ले सकता है।






