INDIA गठबंधन की एकता तार-तार! बीजेपी ने उठाया बड़ा फायदा, राहुल-खरगे 'नाकाम'
नवभारत डेस्क: संसद का बजट सत्र 2 हफ्ते चला और गुरुवार को यह सत्र अवकाश के लिए स्थगित हो गया। इस दौरान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में बढ़ती दरार साफ दिखाई दी। आमतौर पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे या लोकसभा में उनके समकक्ष राहुल गांधी ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं की बैठक बुलाते हैं, लेकिन इस पूरे सत्र में एक भी बैठक नहीं हुई। इसका एक और नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस और गठबंधन के पास डिप्टी स्पीकर पद के लिए लड़ने की हिम्मत और उत्साह नहीं रहा। 18वीं लोकसभा का चौथा सत्र चल रहा है, लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद अभी भी खाली है।
विपक्ष, खासकर कांग्रेस, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र से ही डिप्टी स्पीकर का पद मांग रही थी। 17वीं लोकसभा में यह पद खाली रहा था, जिस पर कानूनी और संवैधानिक बहस छिड़ गई थी। जब स्पीकर
एकजुट रणनीति की कमी का मतलब था कि गठबंधन के ज्यादातर दल सदन में अपने-अपने मुद्दे उठा रहे थे। केवल कुछ भावनात्मक मुद्दों जैसे भारत से निकाले गए लोगों को हथकड़ी लगाना, महाकुंभ में भगदड़ और वक्फ रिपोर्ट पर ही चुनावी संवेदनशीलता के कारण वे एक-दो दिन के लिए सदन में संयुक्त विरोध के लिए एक साथ आए। हालांकि अदाणी सौर परियोजना के सीमा पर होने को लेकर गुरुवार को कांग्रेस के सदन में विरोध प्रदर्शन को केवल तमिलनाडु और केरल के कुछ सहयोगियों का ही समर्थन मिला।
तभी विपक्ष ने यह पद मांगा था। कुछ विपक्षी नेताओं का कहना है कि सहयोगियों के बीच बढ़ती दरार की वजह से इस मुद्दे पर कोई जोर नहीं दिया गया क्योंकि इस बात पर सहमति नहीं बन पाई कि किस विपक्षी दल को यह पद मांगना चाहिए या मिलना चाहिए। एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि
इंडिया ब्लॉक बनने के बाद कांग्रेस नेता हर सत्र में नेताओं की बैठक बुलाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। शायद कांग्रेस नेतृत्व को मुख्य सहयोगियों से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी। पहले ऐसी बैठकों में नियमित रूप से शामिल होने वाले गठबंधन के एक नेता ने कहा कि पिछले सत्र में नेताओं की बैठकें कुछ कम हुई थीं, लेकिन इस बार तो एक भी बैठक नहीं हुई। इससे सदन में विपक्ष की एकता टूट गई। पिछले सत्र में तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि बैठक से अलग हो गए थे। इस बार सपा, आप और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रतिनिधियों की भी रुचि कम दिखाई दी। यह सत्र दिल्ली चुनाव प्रचार के साथ शुरू हुआ, जहां आप और कांग्रेस ने गठबंधन के बिना चुनाव लड़ा, जबकि विपक्षी गठबंधन के कई सहयोगी जैसे तृणमूल, सपा, शिवसेना (यूबीटी) ने खुलकर आप का समर्थन किया। इससे गठबंधन के भीतर की दरार सबके सामने आ गई।
विपक्षी खेमे में फूट का मतलब है कि सरकार को उनके बीच की दरारों का फायदा उठाने और डिप्टी स्पीकर पद देने में देरी करने, न देने का मौका मिल गया है।