
अधिकारी के घर से बरामद कैश, फोटो- सोशल मीडिया
CBI Arrested Lieutenant Colonel: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया है। उन पर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के बदले रिश्वत लेने का आरोप है। छापेमारी के दौरान बरामद करोड़ों की नकदी ने सनसनी फैला दी है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने शनिवार को रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा को गिरफ्तार किया। शर्मा पर बेंगलुरु स्थित एक कंपनी से कथित तौर पर ₹3 लाख की रिश्वत लेने का आरोप है।
सीबीआई को इस रिश्वत के भुगतान के बारे में गुप्त सूचना मिली थी, जिसके आधार पर जाल बिछाया गया था। छापेमारी के दौरान दिल्ली स्थित शर्मा के आवास से ₹2.23 करोड़ की भारी नकदी और रिश्वत की रकम बरामद की गई। नोटों की इतनी बड़ी मात्रा देखकर जांच अधिकारियों के भी पसीने छूट गए।
इस भ्रष्टाचार कांड में लेफ्टिनेंट कर्नल शर्मा की पत्नी, कर्नल काजल बाली, के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। काजल बाली वर्तमान में राजस्थान के श्रीगंगानगर में 16 इन्फैंट्री डिवीजन आयुध इकाई (DOU) की कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात हैं। सीबीआई ने श्रीगंगानगर स्थित उनके आवास की भी तलाशी ली, जहां से ₹10 लाख नकद बरामद किए गए हैं। जांच एजेंसी अब दोनों अधिकारियों की संपत्ति और बैंक खातों के विवरण खंगाल रही है।
सीबीआई के प्रवक्ता के अनुसार, दीपक कुमार शर्मा रक्षा उत्पादों के निर्माण और निर्यात से जुड़ी विभिन्न निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर लगातार भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों में लिप्त थे। वे राजीव यादव और रवजीत सिंह जैसे कंपनी प्रतिनिधियों के नियमित संपर्क में थे और अपनी मिलीभगत से उन्हें विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों से अवैध तरीके से अनुचित लाभ दिलवाते थे। इस मामले में विनोद कुमार नामक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया है, जिसने कंपनी के इशारे पर 18 दिसंबर, 2025 को लेफ्टिनेंट कर्नल को रिश्वत की राशि दी थी।
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गिरफ्तारी के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा और विनोद कुमार को एक विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपियों को 23 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। सीबीआई अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस सिंडिकेट में और कौन-कौन से अधिकारी या बिचौलिए शामिल हैं और यह खेल कब से चल रहा था।






