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महाभियोग को कैसे मात देंगे यशवंत वर्मा? बचने का सिर्फ एक रास्ता बाकी, पूर्व CJI संजीव खन्ना ने दिया था ‘हिंट’

माना जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। जिससे बचने के जस्टिस वर्मा के पास एक मात्र विकल्प शेष बचा है।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Jun 08, 2025 | 05:57 PM

जस्टिश यशवंत वर्मा (डिजाइन फोटो)

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाने के लिए राजनीतिक दलों से चर्चा शुरू कर दी है। यह भी कहा जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र में सदन में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाना लगभग तय है।

अब जस्टिस वर्मा के पास महाभियोग से बचने के लिए एक ही विकल्प है। अगर वह प्रस्ताव लाए जाने से पहले इस्तीफा दे देते हैं तो वह महाभियोग से बच सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और हटाने से वाकिफ लोगों का कहना है कि संसद में अपना बचाव करने से बचने के लिए वह मौखिक रूप से अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं।

‘महाभियोग प्रस्ताव लाना पहला उद्देश्य’

केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि प्राथमिक उद्देश्य महाभियोग प्रस्ताव लाना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 21 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र में दोनों सदनों में निष्कासन की कार्यवाही पारित हो जाएगी।

महाभियोग से हटे तो होगा नुकसान

अगर वह खुद इस्तीफा देते हैं तो उन्हें रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की तरह पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलती रहेंगी। हालांकि, अगर संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाना पड़ा तो उन्हें पेंशन भी नहीं मिलेगी। संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार हाई कोर्ट का जज राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दे सकता है। इस्तीफा देने के लिए जज का पत्र ही काफी होता है। इसके लिए किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं होती।

अगर कोई जज अपने पत्र में इस्तीफे की तारीख का जिक्र करता है तो उसे उस तारीख से पहले अपना इस्तीफा वापस लेने का अधिकार है। जस्टिस संजीव खन्ना ने सीजेआई रहते हुए जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखा था।

क्या कहता है जज इन्क्वायरी एक्ट?

जज इन्क्वायरी एक्ट 1968 के अनुसार अगर किसी जज को हटाने का प्रस्ताव सदन में स्वीकार हो जाता है तो स्पीकर या सदन के चेयरमैन तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच भी कर सकते हैं कि उन्हें किस आधार पर हटाया गया है। इस कमेटी में सीजेआई और 25 हाईकोर्ट में से किसी एक के चीफ जस्टिस शामिल होते हैं।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने में सभी राजनीतिक दलों को साथ लेने के सरकार के संकल्प को रेखांकित किया और कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को ‘राजनीतिक चश्मे’ से नहीं देखा जा सकता।

जस्टिस यशवंत वर्मा पर क्या हैं आरोप

न्यायमूर्ति वर्मा के राष्ट्रीय राजधानी स्थित आवास में मार्च में आग लग गई थी, जब वे दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे, जिसके कारण उनके घर के एक हिस्से में नकदी से भरी जली हुई बोरियां मिलीं। न्यायाधीश ने नकदी के बारे में अनभिज्ञता का दावा किया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने कई गवाहों से बात करने और उनके बयान दर्ज करने के बाद उन्हें दोषी ठहराया।

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पूर्व CJI संजीव खन्ना ने दिया था हिंट

माना जाता है कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने का संकेत दिया था, लेकिन न्यायमूर्ति वर्मा अपने रुख पर अड़े रहे। अदालत ने तब से उन्हें उनके मूल कैडर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है, जहां उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है। न्यायमूर्ति खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को महाभियोग प्रस्ताव की सिफारिश करते हुए पत्र लिखा था।

How yashwant verma may escape impeachment cji sanjiv khanna hint

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Published On: Jun 08, 2025 | 05:57 PM

Topics:  

  • Legal News
  • Monsoon Session
  • Yashwant Verma

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