कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Indigo Crisis News: इंडिगो एयरलाइन क्राइसिस इस समय देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। पिछले एक हफ्ते से लगातार फ्लाइट्स कैंसिल होने का सिलसिला जारी है। हवाई अड्डों पर यात्रियों का हुजूम है। जिसकी वजह से एयरपोर्ट पर रेलवे स्टेशनो सरीखा हाल दिखाई दे रहा है। इस बीच इस संकट को लेकर एक ऐसा दावा सामने आया है। जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।
सोशल मीडिया पर जोर-शोर से चर्चा चल रही है कि क्या इंडिगो क्राइसिस पहले से फिक्स था? इसके साथ एक पैटर्न भी बताया जा रहा है। जिसमें उद्योगपति गौतम अडानी की तरफ सवालिया उंगलियां उठ रही हैं। क्या कुछ है ये पूरी कहानी? इस दावे में कितना दम है? चलिए हम आपको उससे रूबरू करवाने का प्रयास करते हैं…
दरअसल, इंडिगो क्राइसिस के बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें लिखा है कि इंडिगो क्राइसिस पहले से फिक्स था? “फॉर्च्यून” तेल 2000 के आसपास बाजार में उतरा। यह अडानी का प्रोडक्ट था। उसी समय अचानक सरसों तेल को लेकर देश भर में डर फैलाया गया। मिलावट, बीमारी, नुकसान जैसी बातें फैलाई गईं।नतीजा यह हुआ कि लोग सरसों तेल छोड़कर रिफाइंड तेल की तरफ धकेले गए। उसी दौर में Fortune रिफाइंड ऑयल की बिक्री तेज़ी से बढ़ी। यह सिर्फ संयोग नहीं था यह वही मार्केटिंग पैटर्न था जिसमें किसान भी पिसा और आम जनता भी अपने पारंपरिक, स्वास्थ्यकर सरसों तेल से दूर कर दी गई।
ऊर्जा क्षेत्र में भी यही कहानी दोहराई गई। जनवरी 2019 से अगस्त 2021 के बीच अडानी पर आरोप लगा कि आयातित कोयले (आस्ट्रेलिया /इंडोनेशिया से) की कीमतें मार्केट रेट से औसतन 52 प्रतिशत ज्यादा दिखाई गईं। जिसे over-invoicing कहा गया। इसी दौरान देश में कोयले की कमी और बिजली संकट भी लगातार दिखाया गया। जनता से कहा गया कि घरेलू कोयला कम है, इसलिए आयात करना जरूरी है। लेकिन आयात की कीमतें बढ़ा चढ़ाकर दिखायी जाएंगी तो उसका बोझ किस पर पड़ेगा? बिजली का बिल आम लोगों पर ही भारी हुआ। फैसला ऊपर बना, मुनाफा ऊपर गया और नीचे जनता और उद्योग दोनों पिसे।
इंडिगो क्राइसिस पहले से फिक्स था ?
“Fortune” तेल 2000 के आसपास बाजार में उतरा। यह Adani का प्रोडक्ट था। उसी समय अचानक सरसों तेल को लेकर देश भर में डर फैलाया गया — मिलावट, बीमारी, नुकसान जैसी बातें फैलाई गईं। नतीजा यह हुआ कि लोग सरसों तेल छोड़कर रिफाइंड तेल की तरफ धकेले गए। उसी… — Navneet Kaushal (@ndskaushal) December 7, 2025
अब यही पैटर्न एविएशन क्षेत्र में देखने को मिला। एक नवंबर 2025 को DGCA ने नए FDTL नियम लागू किए। नाइट ड्यूटी घटा दी गई, साप्ताहिक आराम बढ़ा दिया गया। इससे IndiGo समेत कई एयरलाइंस में अचानक पायलट उपलब्धता गिर गई और हज़ारों उड़ानें प्रभावित हुईं। 4 और 5 दिसंबर 2025 को जब एयरपोर्टों पर अफरा-तफरी मच गई, तब DGCA को अपने ही नियमों में ढील देनी पड़ी। पहले नियम बदले, फिर संकट पैदा हुआ, और फिर उसी संकट में नियम वापस लेने पड़े। आम यात्री से लेकर बिज़नेस क्लास वाला भी परेशान हुआ।
पोस्ट में आगे कहा गया कि ठीक इसी उथल-पुथल के बीच 27 नवंबर 2025 को अडानी ने भारत की सबसे बड़ी पायलट ट्रेनिंग कंपनी FSTC का 73 प्रतिशत हिस्सा लगभग 820 करोड़ रुपये में खरीद लिया। जब पूरे देश में पायलट ट्रेनिंग की कमी, स्लॉट की कमी और एविएशन ढांचे की कमजोरी सबसे ज्यादा सुर्खियों में थी। उसी समय यह सौदा पूरा हुआ। यह टाइमिंग साफ इशारा करती है कि पहले माहौल बनाया गया, फिर संकट खड़ा हुआ और अंत में समाधान उसी के हाथ पहुंच गया जो हर सेक्टर के निर्णायक मोड़ पर मौजूद दिखता है।
इंडिगो क्राइसिस पहले से फिक्स था ? “Fortune” तेल 2000 के आसपास बाजार में उतरा। यह Adani का प्रोडक्ट था। उसी समय अचानक सरसों तेल को लेकर देश भर में डर फैलाया गया — मिलावट, बीमारी, नुकसान जैसी बातें फैलाई गईं। नतीजा यह हुआ कि लोग सरसों तेल छोड़कर रिफाइंड तेल की तरफ धकेले गए। उसी… pic.twitter.com/8r8hxNnPGR — J.K.Limba (@jklimba9) December 7, 2025
तेल और कोयला हो या अब पायलट ट्रेनिंग। हर जगह कहानी वही है। ऊपर मुनाफा, नीचे दर्द। ऊपर फैसले, नीचे बोझ। किसान से लेकर ग्राहक तक, कर्मचारी से लेकर यात्री तक, हर कोई किसी न किसी रूप में पिसता है और कहा यह जाता है कि “साहेब सबका ख्याल रखते हैं।” ख्याल रखते हैं, बस फर्क इतना है कि आम आदमी संकट में आता है और खास आदमी सौदे में। खुश हो जाइए, अब सरकार ने टिकेट प्राइस लिमिट 18000 कर दिया है। तारीखें, फैसले और सौदे खुद ही बता रहे हैं कि असली खेल कहां होता है और कीमत कौन चुकाता है।
अब आते हैं इस दावे की पड़ताल पर। जिसमें दो बातें तो कन्फर्म हैं। कोयला आपूर्ति कम होने के चलते बिजली संकट साल 2021 और 2022 में पैदा हुआ था। इसी वक्ता केंद्र के आदेश के मुताबिक, राज्य और इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स को 10% ब्लेंडिंग के लिए इम्पोर्टेड कोयला खरीद अनिवार्य कर दी गई, जो कि जिसकी कीमत घरेलू कोयले से 10 गुना अधिक थी। उस समय अडानी की कंपनी ऑस्ट्रेलिया से कोयला आयात कर रही थी। इसे लेकर विपक्षी दलों ने भी तब आरोप था कि सरकार ने ‘दोस्त’ को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया है।
27 नवंबर को अडानी ने FSTC (फ्लाइट सिमुलेशन टेक्निक सेंटर) का अधिग्रहण अपनी सहायक कंपनी अडानी डिफेंस सिस्टम और टेक्नोलॉजीज लमिटेड (ADSTL) के माध्यम से किया है। इसमें प्राइम एयरो सर्विसेज LLP की भी साझेदारी है। इस अधिग्रहण में ADSTL और उसकी सहायक कंपनी, होराइजन एयरो सॉल्यूशंस लिमिटेड शामिल हैं। वहीं, यह डील 820 करोड़ रुपये के मूल्य पर हुई है। इसके तहत अडानी की कंपनी 72.8% हिस्सेदारी हासिल करेगी।
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FSTC भारत की प्रमुख पायलट ट्रेनिंग कंपनियों में से एक है। उसके पास गुरुग्राम-हैदराबाद में सिमुलेशन सेंटर और भिवानी-नारनौल में ट्रेनिंग स्कूल हैं। इस अधिग्रहण एविएशन सेक्टर में अडानी के इकोसिस्टम को मजबूत करने का हिस्सा बताया गया। इसके अलावा फार्चून ऑयल साल 24 नवंबर 2000 को लॉन्च हुआ था और 18 महीने में देश का नंबर 1 कुकिंग ऑयल ब्रॉन्ड बन गया था। लेकिन उस समय सरसों के तेल से नुकसान की अफवाह फैली थी या नहीं। इसकी पुष्टि का कोई विश्वसनीय सोर्स नहीं मिला है।
दूसरी तरफ इस संकट को इंडिगो की मोनोपोली भी कहा जा रहा है। क्योंकि भारतीय एविएशन सेक्टर का 65 फीसदी हिस्सी इंडिगों के पास है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इंडिगों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह किया है। जिससे वह नियमों में ढील दे सके। दूसरी तरफ DGCA ने नए नियमों को हालात सामान्य होने तक के लिए वापस भी ले लिया है। इससे यह बात और पुख्ता होती है।
इंडिगो ने इस संकट के लिए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस (FDTL) नियमों में बदलाव को ही इस संकट का कारण बताया है। कंपनी ने कहा कि वह नए सिरे से रोस्टर में सुधार करने की कोशिशें कर रही है। लेकिन इस समस्या को हल करने में कुछ दिन और लगेंगे। इसका असर भी कमोबेस दिखने लगा है। क्योंकि रोजाना फ्लाइट कैंसिलेशन की संख्या में गिरावट आई है।
डीजीसीए के फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस (FDTL) से जुड़े नियमों के अनुसार उड़ान सुरक्षा के लिए पायलटों और क्रू मेंबर्स को 28 दिनों में 100 घंटे से अधिक काम करने की इजाज़त नहीं है। इसके साथ ही ड्यूटी उड़ान भरने के एक घंटे पहले रिपोर्टिंग टाइम से शुरू मानी जाएगी।