फौजा सिंह को टक्कर मारने वाला गिरफ्तार (सोर्स- सोशल मीडिया)
Fauja Singh Hit and Run Case: जालंधर पुलिस ने टर्बन्ड टॉरनेडो के नाम से मशहूर एथलीट फौजा सिंह को कार से टक्कर मारने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान 30 वर्षीय एनआरआई अमृतपाल सिंह ढिल्लों के रूप में हुई है, जो करतारपुर के दसूपुर गाँव का निवासी है। पुलिस उसे आज अदालत में पेश करेगी। पुलिस ने उसकी फॉर्च्यूनर कार PB 20 C 7100 भी जब्त कर ली है। पूछताछ के दौरान अमृतपाल ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
फौजा सिंह के सैर करते हुए सीसीटीवी फुटेज सामने आए थे, जिसमें वह अकेले गाँव से राष्ट्रीय राजमार्ग पर सैर के लिए जाते हुए दिखाई दे रहे थे। इसी दौरान एक तेज़ रफ़्तार फॉर्च्यूनर चालक उन्हें टक्कर मारकर भाग जाता है। फौजा सिंह को उनके परिवार द्वारा तुरंत जालंधर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गई।
घटना के बाद, आदमपुर थाने में इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई और जब पुलिस ने आसपास के इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जाँच की, तो फॉर्च्यूनर कार की पहचान हो गई। मौके से हेडलाइट के टुकड़े भी मिले हैं। नंबर से पता चला कि उक्त गाड़ी कपूरथला के अठौली गाँव निवासी वरिंदर सिंह के नाम पर पंजीकृत थी।
जालंधर पुलिस की टीमें कपूरथला के लिए रवाना हुईं और वरिंदर तक पहुँचीं। वरिंदर सिंह से पूछताछ के दौरान पता चला कि कनाडा के एक एनआरआई अमृतपाल सिंह ढिल्लों ने उनकी गाड़ी खरीदी थी। मंगलवार देर रात पुलिस ने अमृतपाल को गिरफ्तार कर उसकी गाड़ी बरामद कर ली। आरोपी को नहीं पता था कि हादसे का शिकार फौजा सिंह था।
एनआरआई अमृतपाल सिंह ढिल्लों ने अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा कि वह अपना फोन बेचकर लौट रहा था। जब वह ब्यास गाँव के पास पहुँचा, तो एक बूढ़ा व्यक्ति उसकी गाड़ी के नीचे आ गया। उसे नहीं पता था कि वह बूढ़ा व्यक्ति फौजा सिंह है। हादसे के बाद अमृतपाल घबरा गया और हाईवे के बजाय गाँवों के अंदरूनी रास्तों से होते हुए अपने गाँव पहुँचा। अमृतपाल आठ दिन पहले ही कनाडा से लौटा था।
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फौजा सिंह के छोटे बेटे हरविंदर सिंह ने कहा कि हम आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं। आरोपी ने लापरवाही से गाड़ी चलाकर न सिर्फ़ अपने पिता को टक्कर मारी, बल्कि घायलों को अस्पताल पहुँचाने के बजाय मौके से फरार हो गया। इस बीच, फ़ौजा सिंह के परिवार ने कहा कि वह 114 साल की उम्र में भी पूरी तरह फिट थे। फ़ौजा सिंह की आखिरी इच्छा थी कि वह अपने जीवन के आखिरी पल अपने गाँव में बिताना चाहते थे।