ज्ञानेश कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने उन 345 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो पिछले छह वर्षों से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। ये सभी दल ‘पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल’ (RUPPs) की श्रेणी में आते हैं और चुनाव आयोग की नजर में केवल कागजों पर मौजूद हैं, जबकि जमीनी हकीकत में उनकी कोई सक्रियता नहीं है।
चुनाव आयोग के अनुसार, इन दलों के न तो कोई कार्यालय हैं और न ही इनका कोई संगठनात्मक ढांचा दिखता है। आयोग ने पाया कि इन पार्टियों ने 2019 से अब तक किसी भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लिया है, जो चुनावी पंजीकरण के लिए आवश्यक न्यूनतम शर्तों में से एक है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को दुरुस्त और पारदर्शी बनाना है, ताकि केवल सक्रिय और जिम्मेदार दल ही लोकतंत्र में भागीदार बन सकें।
निष्क्रिय दलों पर आयोग की सख्ती
ECI के रिकॉर्ड के अनुसार, देश में फिलहाल 2800 से अधिक RUPPs हैं, लेकिन इनमें से बड़ी संख्या में दल निष्क्रिय हैं। चुनाव आयोग का मानना है कि कई पंजीकृत दल न तो चुनाव लड़ते हैं और न ही जनता के बीच कोई भूमिका निभाते हैं। यह प्रक्रिया चुनावों में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए उठाई गई एक निर्णायक पहल मानी जा रही है।
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विधानसभा चुनावों से पहले तैयारी में जुटा है आयोग
आगामी समय में बिहार सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में चुनाव आयोग पहले से ही पूरी तैयारियों में जुटा है। आयोग ने घोषणा की है कि बिहार समेत पांच राज्यों में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा की जाएगी। इसके तहत विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी, ताकि मतदाता सूची को त्रुटिरहित और अद्यतन रखा जा सके। आयोग का यह अभियान संविधानिक दायित्वों के पालन के लिए एक अहम कदम है।