
DRDO ने क्या प्रलय मिसाइल का सॉल्वो लॉन्च (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pralay Missile Salvo Launch: साल के आखिरी दिन भारत ने एक ऐसा डबल धमाका किया है जिससे दुनिया सकते में आ गई है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल का सफल परीक्षण करके अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। यह कोई आम परीक्षण नहीं था; यह एक ‘साल्वो लॉन्च’ था, जिसने दुश्मन खेमे में खलबली मचा दी है।
भारत ने यह कारनामा ओडिशा के तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सुबह करीब 10:30 बजे किया। DRDO ने एक ही लॉन्चर से बहुत कम समय के अंतराल पर दो ‘प्रलय’ मिसाइलें दागीं। दोनों मिसाइलों ने अपने पहले से तय रास्ते का पालन किया और मिशन के सभी उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया।
रक्षा विशेषज्ञों की भाषा में, ‘साल्वो लॉन्च’ का मतलब है कई हथियारों का एक साथ हमला या लॉन्च के बीच बहुत कम अंतराल पर हमला। इस परीक्षण में, DRDO ने एक ही मोबाइल लॉन्चर से एक के बाद एक दो मिसाइलें दागीं। युद्ध की स्थिति में, यह तकनीक गेम-चेंजर साबित होती है।
Salvo lunch of two Pralay Missile in quick succession from same launcher were successfully conducted today from ITR, Chandipur. The flight test was conducted as part of User evaluation trials. Both the missiles followed the intended trajectory meeting all flight objectives. pic.twitter.com/QeJYVDhL1l — DRDO (@DRDO_India) December 31, 2025
जब दो या दो से ज़्यादा मिसाइलें एक ही या अलग-अलग लक्ष्यों की ओर एक साथ बढ़ती हैं, तो दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए उन सभी को एक साथ रोकना असंभव हो जाता है। अगर दुश्मन एक मिसाइल को रोकने की कोशिश करता है, तो दूसरी मिसाइल अपने लक्ष्य पर लग जाएगी। प्रलय मिसाइल की यह ‘दोहरे हमले’ की क्षमता दुश्मन के बंकरों, एयरबेस और रणनीतिक लक्ष्यों को पलक झपकते ही नष्ट करने की क्षमता रखती है।
‘प्रलय’ मिसाइल भारत की आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसकी मुख्य विशेषताएं इसे दुनिया की सबसे अच्छी मिसाइलों में शामिल करती हैं। ये विशेषताएं क्या कुछ हैं एक-एक कर के जानते हैं…
यह टेस्ट ‘यूज़र इवैल्यूएशन ट्रायल्स’ का हिस्सा था। इसका मतलब है कि मिसाइल का डेवलपमेंट पूरा हो गया है और अब सशस्त्र बल (यूज़र) इसे अपने हथियारों के जखीरे में शामिल करने के लिए औपचारिक रूप से इसका टेस्ट कर रहे हैं। जल्द ही यह भारतीय रक्षा बेड़े में शामिल हो जाएगी।
भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के प्रतिनिधियों ने इस ऐतिहासिक टेस्ट को देखा। DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि यह सफलता दिखाती है कि यह सिस्टम अब यूज़र्स (सशस्त्र बलों) द्वारा शामिल किए जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। ‘प्रलय’ मिसाइल को हैदराबाद में रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने डेवलप किया है।
यह भी पढ़ें: ISRO ने हासिल की एक और सफलता, SSLV का हुआ सफल परीक्षण, क्या होंगे फायदे?
इसके अलावा DRDL, ASL, ARDE, और HEMRL जैसी कई अन्य DRDO प्रयोगशालाओं ने भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रोडक्शन और सिस्टम इंटीग्रेशन की ज़िम्मेदारी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को सौंपी गई है। यह सरकारी और निजी उद्योगों के बीच सहयोग का एक शानदार उदाहरण है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर DRDO, भारतीय सेना, वायु सेना और इसमें शामिल उद्योगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ‘साल्वो लॉन्च’ की सफलता ने ‘प्रलय’ मिसाइल की विश्वसनीयता स्थापित की है। उन्होंने इसे डिफेंस सेक्टर में भारत का सबसे महत्वपूर्ण कदम बताया है।
31 दिसंबर 2025 को हुआ यह टेस्ट भारत की रक्षा नीति में एक बड़ा बदलाव दिखाता है। भारत अब अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए न केवल रक्षात्मक बल्कि हमलावर और सटीक स्ट्राइक क्षमताएं भी विकसित कर रहा है। ‘प्रलय’ के सफल साल्वो लॉन्च ने चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों को एक साफ़ संदेश दिया है कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम और तैयार है।






