पीएम मोदी और सीपी राधाकृष्णन, फोटो- सोशल मीडिया
New VP of India: देश के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन शुक्रवार को अपने पद की शपथ लेंगे। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा राष्ट्रपति भवन में सुबह 10 बजे एक विशेष समारोह के दौरान शपथ दिलाई जाएगी। हाल ही में संपन्न उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष के साझा उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत हासिल की थी।
यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को अचानक दिए गए इस्तीफे के बाद आयोजित किया गया था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार राधाकृष्णन को मंगलवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया। राज्यसभा के महासचिव और इस चुनाव के निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने नतीजे घोषित किए।
चुनाव में कुल 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, जो 98.2 प्रतिशत मतदान दर को दर्शाता है। राधाकृष्णन को 452 वोट प्राप्त हुए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बी सुदर्शन रेड्डी को 300 मत मिले। मतदान और गिनती प्रक्रिया के शांतिपूर्वक संपन्न होने के बाद नतीजों की घोषणा की गई। चुनाव में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि वे देश के संवैधानिक आदर्शों को मजबूती प्रदान करेंगे और संसद में रचनात्मक चर्चा को बढ़ावा देंगे।
उपराष्ट्रपति चुने जाने के पश्चात सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि अब गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह जिम्मेदारी उन्हें उनके वर्तमान कर्तव्यों के साथ-साथ निभानी होगी।
उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है। बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में यह जानकारी दी गई है। मुर्मू ने राधाकृष्णन के इस्तीफे के बाद गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का भी अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है। आचार्य देवव्रत अब दोनों राज्यों के राज्यपाल की जिम्मेदारी देखेंगे।
यह भी पढ़ें: राहुल गांधी बड़े आदमी प्रशांत किशोर पर कैसे फोकस करेंगे?, पीके ने बताया जनसुराज का कैसे मिलेगा टिकट
इस नई जिम्मेदारी के साथ सीपी राधाकृष्णन देश की उच्च संवैधानिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। उपराष्ट्रपति के रूप में वे राज्यसभा के सभापति भी होंगे, जहां उनकी भूमिका संसदीय कार्यों के संचालन में अहम होगी।