CJI गवई
CJI BR Gavai News: मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने शनिवार को यह कहा कि संवैधानिक गारंटी के बावजूद देश में कई लड़कियों को उनके मौलिक अधिकारों और जीवित रहने की बुनियादी जरूरतों से अब भी वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि आज भी देश की बेटियां खतना (FGM) जैसी हानिकारक और अमानवीय प्रथाओं का शिकार हो रही हैं।
खास बात यह है कि दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित FGM (Female Genital Mutilation) की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर फैसला सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ को लेना है, जो इस समय सबरीमाला मंदिर, पारसी समुदाय की अग्यारी, और मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश से जुड़ी भेदभावपूर्ण प्रथाओं की वैधता पर भी विचार कर रही है।
CJI गवई ‘बालिकाओं की सुरक्षा: भारत में उनके लिए एक सुरक्षित और सक्षम वातावरण की ओर’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
CJI गवई ने कहा कि तकनीकी प्रगति ने जहां लड़कियों को नई ताकत दी है, वहीं उसने नई चुनौतियां और कमजोरियां भी पैदा की हैं। अब खतरे केवल गलियों या घरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे डिजिटल दुनिया तक फैल चुके हैं। ऑनलाइन उत्पीड़न, साइबरबुलिंग, डिजिटल स्टॉकिंग, डेटा का गलत इस्तेमाल और डीपफेक इमेजरी जैसी समस्याएं अब लड़कियों के सामने आ चुकी हैं।
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उन्होंने संस्थानों, नीति निर्माताओं और प्रवर्तन एजेंसियों से अपील की कि वे इन नई चुनौतियों को समझें और तकनीक को शोषण नहीं, बल्कि मुक्ति का जरिया बनाएं। CJI गवई ने कहा, “आज बालिकाओं की सुरक्षा का मतलब है उनके कक्षा, कार्यस्थल और हर स्क्रीन पर उनके भविष्य को सुरक्षित करना।”