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सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब, तीन सप्ताह का दिया समय

  • By किर्तेश ढोबले
Updated On: Mar 19, 2024 | 09:32 PM
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्र से नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का आग्रह करने वाले आवेदनों पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। हालाँकि, शीर्ष अदालत ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को प्रभावी बनाने वाले नियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला होने तक नियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगाए जाने का आग्रह किया था।

वहीं, केंद्र ने अपनी ओर से कहा कि सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनता। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें 20 आवेदनों पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय चाहिए। न्यायालय ने इस पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए आवेदनों पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। पीठ ने कहा, ”हम प्रथम दृष्टया कोई विचार व्यक्त नहीं कर रहे हैं… हमें याचिकाकर्ताओं को सुनना है, हमें दूसरे पक्ष को सुनना है।” मामले की अगली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी।

आवेदनों में आग्रह किया गया है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का शीर्ष अदालत द्वारा निपटारा किए जाने तक संबंधित नियमों पर रोक लगाई जानी चाहिए। संसद द्वारा विवादास्पद कानून पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र ने 11 मार्च को संबंधित नियमों को अधिसूचित करने के साथ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। इस कानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को तेजी से भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि केंद्र को बयान देना चाहिए कि सुनवाई लंबित रहने तक किसी को भी नागरिकता नहीं दी जाएगी। पीठ ने कहा, “वे हमें यह कहने के हकदार हैं कि हमें जवाब दाखिल करने के लिए थोड़ा समय दें। हम उन्हें आवेदनों पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय दे सकते हैं।”

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, ”समस्या यह है कि अगर नागरिकता की कोई प्रक्रिया शुरू होती है और किसी को नागरिकता मिल जाती है, तो कई कारणों से इसे उलटना असंभव होगा और ये याचिकाएं निरर्थक हो जाएंगी। इसलिए, यह प्रक्रिया शुरू नहीं होनी चाहिए।” जब एक वकील ने पूछा कि अगर बलूचिस्तान में प्रताड़ित कोई हिंदू व्यक्ति दिसंबर 2014 से पहले भारत आया है और उसे यहां नागरिकता दी जाती है, तो इससे किसी और के अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा। जयसिंह ने जवाब में कहा, “क्योंकि उसे वोट देने का अधिकार मिल जाएगा।” पीठ के यह कहने पर कि मामले में अगली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी, जयसिंह ने कहा, ”इस बीच, उन्हें बयान देने दीजिए कि वे किसी को नागरिकता नहीं देंगे।” 

Center should respond within three weeks on applications regarding ban on caa supreme court

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Published On: Mar 19, 2024 | 09:32 PM

Topics:  

  • CAA
  • Supreme Court

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