प्रतीकात्मक तस्वीर(फोटो-सोशल मीडिया)
श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश से गृहमंत्रालय को मुश्किल में डाल दिया है। 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद गृहमंत्रालय ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया था। इस दौरान पाकिस्तानी नागरिकों को डिपोर्ट भी किया गया था। डिपोर्ट किए लोगों में एक महिला भी थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने 10 दिन के अंदर वापिस लाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश मानवीय आधार पर दिया है।
बार एंड बेंच के अनुसार, रक्षांदा रशीद नाम पाकिस्तानी महिला को भारत ने डिपोर्ट किया था। उन्होंने डिपोर्टेशन के खिलाफ 30 अप्रैल को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जानकारी के मुताबिक, रक्षांदा रशीद 38 वर्ष से जम्मू-कश्मीर में अपने पति व दो बच्चों के साथ रह रहीं थी। अब लाहौर के एक होटल में हैं।
वापस नहीं गईं रक्षांदा कर दिया गया डिपोर्ट
खबरों के मुताबिक रक्षांदा रशीद भारत सरकार के आदेश के बाद भी जम्मू-कश्मीर से वापिस नहीं गईं। इसके बाद उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया। इस डिपोर्टेशन के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस भारती के सामने दलील दी गई कि रशीद का पाकिस्तान में कोई नहीं है। इसके अलावा वह कई बिमारियों का सामना कर रहीं हैं, जिसके चलते उनकी जान जोखिम में है। मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने इसे मानवाधिकार से जोड़ कर देखा।
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LTV वीजा पर थी रक्षांदा रशीद
जस्टिस भारती ने कहा कि मानवाधिकार मानव जीवन का सबसे अहम हिस्सा है। इसलिए यह कोर्ट भारत सरकार के गृहमंत्रालय को आदेश देती है कि याचिकाकर्ता को डिपोर्टेशन से वापस लाया जाए। आदेश के केंद्र में कोर्ट ने इस बात को भी रखा कि याचिकाकर्ता LTV यानी लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में रह रही थी। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला को बगैर उसके मामले की जांच के और बिना उचित आदेश के देश से निकाल दिया गया। ऐसे में कोर्ट ने गृहमंत्रालय को 10 दिन के अंदर याचिकाकर्ता रक्षांदा रशीद को वापिस लाने का आदेश दिया।
गृहमंत्रालय के सचिव को कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने आदेश में कहा कि मामले के तथ्यों और आसमान्य स्थिति को देखते हुए, शेख जहूर अहमद की पत्नी याचिकार्ता रक्षांधा रशीद को वापिस लाने का गृहमंत्रालय के सचिव को आदेश देती है, ताकि वह अपने पति शेख जहूर से मिल सकें।