सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ( सोर्स - सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क : आज ऐसे शख्स की जन्म जयंती है, जिन्हे भारत के प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हम बात कर रहे हैं सुब्रमण्यम चंद्रशेखर की, जिन्होंने अपना व्यवसायिक जीवन अमेरिका में बिताया था। यह शख्स कोई और नहीं बल्कि मशहूर नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन के भतीजे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को एस चंद्रशेखर के नाम से भी दुनिया जानती है।
सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को दुनिया चंद्रा वेधशाला के लिए जानती है, जिनके नाम पर नासा ने अपने एक्स रे वेधशाला का नाम रखा है। इसके साथ ही वे चंद्रशेखर लिमिट के लिए भी जाने जाते हैं लेकिन एस चंद्रशेखर का विज्ञान को इससे भी बड़ा योगदान है। उन्होंने फिजिक्स, एस्ट्रोलॉजिक्ल्स, क्वांटमफिजिक्स, रिलेटिविटी, रेडियोएक्टिविटी, ब्लैक होल आदि कई विषयों पर अपने शोधकार्य से दुनिया को परिचित कराने का काम किया था। इस महान शख्स का जन्म 19 अक्टूबर को पाकिस्तान के लाहौर में 19 अक्टूबर 1910 को हुआ था।
12 साल की उम्र तक उनकी पढ़ाई घर में ही हुई। मिडिल स्कूल में उन्हें उनके पिता ने गणित और भौतिकी की शिक्षा दी और उनकी मां ने उन्हे तमिल सिखाई। बाद में उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए मद्रास में त्रिप्लिकेन के हिंदू हाई स्कूल में गए। जब, उनकी उम्र 18 साल की हुई, तो उनका अपना पहला शोधरपत्र इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स में प्रकाशित हुआ। और स्नातक तक पहुंचते ही उन्के कई रिसर्चपेपर प्रकाशित हो चुके थे। 1930 में उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए भारत सरकार से स्कॉलरशिप मिली, जिसके बाद उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज में एंट्री मिली थी।
इंग्लैड यात्रा के दौरान उन्होंने सफेद बौने तारो के डीजनरेट इलेक्ट्रॉन गैस की सांख्यकीय यांत्रिकी पर काम करने मे काफी समय बिताया। एस चंद्रशेखर अपने जीवन में फिजिक्स के कई सारे समस्याओं पर काम की और तारकीय संरचना, सफेद बौने, तारकीय गतिकी, स्टोचेस्टिक प्रक्रिया, रेडिएटिव ट्रांसफर, हाइड्रोजन एनायन की क्वांटम फिजिक्स, हाइड्रोजडान, हाइड्रोडायनामिक एंड हाइड्रोमैग्नेटिक स्टेबिलिटी, टर्ब्यूलेंस, इक्वीलिब्रियम ऑफ एलिप्सॉइड फिगर्स ऑफ इक्वीलिब्रियम जैसी कॉन्सेप्ट को आगे बढ़ाने का काम किया।
सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने सामान्य सापेक्षता, ब्लैक होल का गणितीय सिद्धांत, और टकराने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का भी अध्ययन कर रखा था। कैम्ब्रिज यूनिवर्सटी में उन्होंने एक सैद्धांतिक प्रतिमान विकसित किया जिसने सफेद बौने तारों का संरचना की व्याख्या की थी। इस प्रतिमान में डीजनरेट पदार्थ से बने इलकेट्रॉन की भार सहित गतियों में सापेक्ष विविधता को शामिल किया गया था। सुब्रमण्यम चंद्रशेखर की मौत 21 अग्सत 1995 में हो गई थी।
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