शकुंतला देवी (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: लाखों लोगों में से कोई एक ऐसा होता है जिसमें अनूठी प्रतिभा होती है। लेकिन ऐसे लोग होते हैं और भारत ने तो यह कई बार अनुभव किया है। फिर चाहे किसी दूसरे युग की बात हो या फिर इस युग की। आज ऐसी ही एक अनूठी प्रतिभा संपन्न शख्सियत की 95वीं जयंती है। वो शख्सियत जिसे ह्यूमन कंप्यूटर कहकर पुकारा जाता था। वो शख्सियत जो गणित की बड़ी से बड़ी पहेली सेकेंड्स में सॉल्व कर देती थी। वो शख्शियत जिसने इंदिरा गांधी को भी चुनौती दे दी थी। अब तक आप समझ गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं।
जी हां, आज यानी सोमवार 4 नवंबर 2024 को प्रसिद्ध गणितज्ञ शकुंतला देवी की जयंती है। जिन्हें उनकी गणना क्षमता के कारण मानव कंप्यूटर कहा जाता था। खास बात यह है कि शकुंतला देवी ने यह कारनामा उस दौर में किया था जब दुनिया में कोई भी कंप्यूटर के बारे में नहीं जानता था और न ही कैलकुलेटर तैयार किए गए थे। उस दौर में शकुंतला देवी बड़ी-बड़ी गणित की समस्याओं को मिनटों में मौखिक रूप से हल कर देती थीं।
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शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर 1929 को बेंगलुरु कर्नाटक के एक कन्नड़ परिवार में हुआ था। गरीब परिवार में जन्मी शकुंतला का बचपन झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में बीता। उनके पिता एक सर्कस में काम करते थे, जहां वे करतब दिखाया करते थे। पिता की आय परिवार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थी। गरीबी के कारण शकुंतला अपनी औपचारिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाईं। इतनी कठिनाइयों के बाद भी शकुंतला की प्रतिभा पर कोई असर नहीं पड़ा।
समलैंगिकों के प्रति उनका दिल नरम था। उन्होंने समलैंगिकता को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा और द वर्ल्ड ऑफ़ होमोसेक्सुअल्स नामक एक किताब लिखी, जो भारत में समलैंगिकता पर पहली किताब है। उन्होंने तर्क दिया कि सभी लोग अलग-अलग समय पर अलग-अलग यौन प्रवृत्ति और झुकाव प्रदर्शित करते हैं और दुनिया में समलैंगिकता या विषमलैंगिकता जैसी कोई चीज़ नहीं है। उन्होंने ज्योतिष और खाना पकाने पर भी कई किताबें लिखी हैं।
शकुंतला देवी को मानव-कंप्यूटर की उपाधि कभी पसंद नहीं थी। यह उपाधि उन्हें तब दी गई जब वह बीबीसी चैनल के साथ एक साक्षात्कार में शामिल हुईं। इस शो को 5 अक्टूबर 1950 को लेस्ली मिशेल ने होस्ट किया था। चैनल ने उनसे एक बहुत ही कठिन सवाल पूछा जिसका उन्होंने सही जवाब दिया। लेकिन चैनल के पास गलत जवाब था, इसलिए उन्होंने जवाब को गलत घोषित कर दिया। हालांकि बाद में जब उन्होंने इसकी जांच की तो शकुंतला देवी द्वारा दिया गया जवाब बिल्कुल सही था। इसके बाद उन्हें मानव-कंप्यूटर की उपाधि मिली और वह घर-घर में मशहूर हो गईं।
1980 में शकुंतला ने साउथ बॉम्बे और तेलंगाना की मेडकोव्स्की सीट से इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उनका मानना था कि इंदिरा मेडक के लोग आमरण अनशन कर रहे हैं और शकुंतला उन्हें चुनावी मैदान में धकेल रही हैं। हालाँकि उस चुनाव में शकुंतला 9वें नंबर पर था।
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साल 1969 में शकुंतला को वुमन ऑफ द ईयर के सम्मान से नवाजा गया। शकुंतला को रामानुजन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया, इसके साथ ही उनके नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है। साल 2013 में शकुंतला देवी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। साल 2020 में विद्या बालन स्टारर फिल्म ‘शकुंतला देवी’ उनके जीवन पर आधारित है।