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Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के साथ देशभर के सात अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भी उपचुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि ये उपचुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया को निरंतर बनाए रखने और रिक्त सीटों को भरने के लिए आवश्यक हैं।
सोमवार को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने इन सभी सीटों के लिए मतदान कार्यक्रम की घोषणा की। इनमें से कई सीटें सांसदों या विधायकों के निधन तथा इस्तीफे के कारण रिक्त हुई थीं। आयोग के अनुसार, उपचुनावों का उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं को पूर्ण रूप से सक्रिय बनाए रखना और जनता को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देना है।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, इस बार 6 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश की कुल 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। इनमें से हर सीट पर राजनीतिक दलों के बीच दिलचस्प मुकाबले की संभावना है।
जम्मू-कश्मीर: बडगाम और नगरोटा
बडगाम सीट उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। नगरोटा सीट बीजेपी नेता देवेंद्र सिंह राणा के निधन के कारण रिक्त हुई। नगरोटा में बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि बडगाम में NC, PDP और पीपुल्स अलायंस के बीच त्रिकोणीय लड़ाई की उम्मीद है।
राजस्थान: अंता (Anta)
अंता सीट कंवरलाल के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद खाली हुई। यह सीट राजस्थान में सत्ता संतुलन को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है।
झारखंड: घाटशिला (Ghatsila)
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित घाटशिला सीट रामदास सोरेन के निधन के कारण खाली हुई। यह क्षेत्र झामुमो और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
तेलंगाना: जुबली हिल्स (Jubilee Hills)
मगंती गोपीनाथ के निधन के बाद जुबली हिल्स सीट रिक्त हुई। यहां सत्ताधारी BRS, कांग्रेस और बीजेपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला संभव है।
पंजाब: तरनतरण (Tarn Taran)
डॉ. कश्मीर सिंह सोहल के निधन के बाद यह सीट खाली हुई। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच इस सीट पर जोरदार टक्कर की संभावना है।
मिजोरम: डांपा (Dampa)
अनुसूचित जनजाति क्षेत्र की यह सीट ललरिंटलुआंगा सैलो के निधन के कारण खाली हुई। स्थानीय दलों और एमएनएफ (Mizo National Front) के बीच यहां दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है।
ओडिशा: नुआपाड़ा (Nuapada)
यह सीट राजेंद्र ढोलाकिया के निधन के बाद रिक्त हुई। यहां बीजद (BJD) और बीजेपी के बीच सीधे मुकाबले की संभावना जताई जा रही है।
इन आठ सीटों पर होने वाले उपचुनाव विभिन्न राज्यों में सत्ता संतुलन और राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं। कई सीटें सत्तारूढ़ दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई हैं, वहीं विपक्ष इन उपचुनावों के जरिए जनसमर्थन का आकलन करना चाहता है। जम्मू-कश्मीर और राजस्थान जैसे राज्यों में ये उपचुनाव भविष्य की राजनीतिक दिशा तय कर सकते हैं।
भारत निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपचुनावों की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आयोग ने सभी राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों से शांति, निष्पक्षता और आचार संहिता के पालन का अनुरोध किया है। सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाएंगे और मतदान प्रक्रिया की लगातार निगरानी होगी।
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बिहार विधानसभा चुनाव के साथ-साथ देशभर में होने वाले इन उपचुनावों से आने वाले महीनों में राजनीतिक हलचल और भी तेज होने वाली है। जहां बिहार में सत्ता की जंग अपने चरम पर होगी, वहीं सात राज्यों की ये आठ सीटें स्थानीय राजनीति के साथ-साथ राष्ट्रीय परिदृश्य पर भी असर डाल सकती हैं।