दत्तात्रेय होसबोले, फोटो - सोशल मीडिया
बेंगलुरु : आज कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS की प्रतिनिधिमंडल बैठक का आखिरी दिन रहा। इस बैठक में RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने औरंगजेब विवाद, वक्फ बिल और परिसीमन जैसे विषयों पर खुलकर विचार व्यक्त किए।
होसबोले ने औरंगजेब के बारे में कहा कि उसने जो कुछ किया, उसे देखते हुए औरंजेब को आइकॉन नहीं मानना चाहिए। समाज को किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने का अधिकार है। उन्होंने उदाहरण दिया कि दिल्ली में औरंगजेब मार्ग का नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया। उनका कहना था कि जो लोग गंगा-जमुनी तहजीब की बात करते हैं, वे औरंगजेब को आइकॉन बनाते हैं, लेकिन उसके भाई दारा शिकोह के बारे में कुछ नहीं कहते।
उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ नहीं थी, बल्कि शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे वीरों ने मुगलों से भी आजादी के लिए संघर्ष किया था। यह भी एक तरह का स्वतंत्रता संग्राम था। अब यह देशवासियों को तय करना है कि वे औरंगजेब को अपना आदर्श मानते हैं या दारा शिकोह को।
उन्होंने आगे कहा कि हमें यह सोचना चाहिए कि क्या हमें बाहर से आए लोगों को अपना आदर्श बनाना चाहिए या अपने स्थानीय नायकों को सम्मान देना चाहिए। यह एक बड़ा सवाल है। हमें उस मानसिकता पर भी विचार करना होगा, जो आक्रमणकारियों के साथ रहने को सही मानती है।
वक्फ बिल पर होसबोले ने कहा कि सरकार जो करेगी, उसे देखा जाएगा। उनका मानना है कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है। परिसीमन के बारे में उन्होंने कहा कि पहले जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो, फिर देखा जाएगा। अगर कोई संघ का कार्यकर्ता योग्यता के आधार पर राजनीति में आता है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। इसमें संघ की कोई सीधी भूमिका नहीं होती।
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उन्होंने यह भी कहा कि जाति के आधार पर आरक्षण सभी राज्य सरकारें देती हैं, लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण के पक्ष में डॉ. अंबेडकर भी नहीं थे। अंतरराष्ट्रीय मामलों में देश अच्छा काम कर रहा है। सरकार के काम का रोजाना मूल्यांकन करने की बजाय, वे मानते हैं कि जनता चुनाव के समय इसका फैसला करती है।