अट्टुकल पोंगाला के लिए पूरे देश से जुटती हैं महिलाएं
Hindi तिरुवनंतपुरम : सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए यहां मनक्कड़ मस्जिद ने बृहस्पतिवार को अपने दरवाजे खोल उन हजारों महिलाओं को विभिन्न तरह की सुविधाएं प्रदान कीं, जिससे ‘अट्टुकल पोंगाला’ के लिए तिरुवनंतपुरम पहुंचने वाली महिलाओं को कोई परेशानी न हो। इसके साथ ही साथ सेंट जोसेफ मेट्रोपॉलिटन कैथेड्रल चर्च ने भी पोंगाला के लिए आने वाली महिला श्रद्धालुओं को पानी, शौचालय जैसी तमाम सुविधाओं के साथ-साथ आराम करने के लिए स्थान की भी सुविधा प्रदान की।
मस्जिद के एक प्रतिनिधि ने जानकारी देते हुए बताया कि वाहनों से आने वाले लोगों के लिए पूरा पार्किंग क्षेत्र खोल दिया गया था और वाहन चालकों के लिए मस्जिद के अंदर ही रहने की व्यवस्था भी की गई। इसके अलावा महिलाओं के लिए अलग शौचालय और श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई। त्योहार के दौरान ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों के उपयोग के लिए भी एक कमरा मुहैया कराया गया।
अट्टुकल पोंगाला का है खास महत्व
मस्जिद के प्रतिनिधि ने कहा कि मस्जिद की ओर से हर साल ये सुविधाएं प्रदान करती है, जिसकी पुष्टि वहां मौजूद महिला श्रद्धालुओं ने भी की। अबकी बार रमजान के दौरान रोजों (उपवास) के कारण पोंगाला श्रद्धालुओं को सुबह भोजन उपलब्ध नहीं करा पाने पर खेद व्यक्त किया गया है। हर दिन शाम को रोजा इफ्तार के बाद भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके साथ ही साथ सेंट जोसेफ मेट्रोपॉलिटन कैथेड्रल’ चर्च ने भी पोंगाला के लिए आने वाली महिला श्रद्धालुओं को पानी, शौचालय सुविधाएं और आराम करने के लिए स्थान की सुविधा प्रदान की। इससे लोगों को बहुत बड़ी राहत मिली।
अट्टुकल पोंगाला तैयार करती महिलाएं (सौ. से सोशल मीडिया)
खास होता है पोंगाला
केरल, अन्य राज्यों और विदेश से बड़ी संख्या में राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम पहुंचीं सभी आयु वर्ग की हजारों महिलाओं ने बृहस्पतिवार को चिलचिलाती धूप में अट्टुकल भगवती मंदिर की मुख्य देवी को पोंगाला (प्रसाद) चढ़ाया। आपको बता दें कि यहां के अट्टुकल मंदिर के वार्षिक उत्सव के दौरान महिलाओं द्वारा चावल, गुड और नारियल से मिट्टी या धातु के नए बर्तनों में ‘पोंगाला’ को पकाकर तैयार किया जाता है, जिसे एक शुभ अनुष्ठान माना जाता है।
अट्टुकल पोंगाला की तैयारी में महिलाएं ( सौ. से सोशल मीडिया)
इसलिए खास है मंदिर
अट्टुकल भगवती मंदिर में 10 दिवसीय वार्षिक उत्सव के नौवें दिन अट्टुकल पोंगाला मनाया जाता है। यह एक खास उत्सव है, जिसमें भारी संख्या में महिलाएं शामिल होती हैं। यह मंदिर इलांगोवाडिकल के तमिल महाकाव्य सिलप्पादिकारम की नायिका कन्नकी को समर्पित है। स्थानीय कथाओं के अनुसार, उसने अपने पति को गलत तरीके से मौत की सज़ा देने के लिए मदुरै शहर और उसके राजाओं को श्राप दिया था।