वक्फ विधेयक के खिलाफ हल्ला-बोल
नई दिल्ली : ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB)’ ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ बीते रविवार 23 मार्च को देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। वहीं इस बाबत इसके पहले चरण के तहत आज यानी 26 मार्च बुधवार को पटना और आगामी 29 मार्च को विजयवाड़ा में विधानसभाओं के सामने विशाला धरना देने की योजना है।
इस बाबत AIMPLB के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओं को पटना (के धरने) में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि, आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), वाईएसआर कांग्रेस, कांग्रेस और वामपंथी दलों को (धरने में शामिल होने का) निमंत्रण भेजा गया है।
जानकारी दें कि, बीते रविवार 23 मार्च को AIMPLB के प्रवक्ता इलियास ने बोर्ड की ओर से सभी मुस्लिम संगठनों, नागरिक संस्थाओं और दलित, आदिवासी, ओबीसी और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं का आभार व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि, ‘‘अल्लाह की कृपा और इन संगठनों के एकजुट समर्थन के बिना, दिल्ली प्रदर्शन सफल नहीं हो पाता।”
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वहीं उन्होंने विपक्षी दलों और सांसदों का भी आभार व्यक्त किया था, जिन्होंने न केवल बड़ी संख्या में भाग लिया, बल्कि प्रस्तावित कानून को दृढ़ता से खारिज भी किया था। AIMPLB की 31 सदस्यीय कार्य समिति ने इस विधेयक का विरोध करने के लिए सभी संवैधानिक, कानूनी और लोकतांत्रिक तरीकों को अपनाने का संकल्प लिया है। बोर्ड ने उसे ‘विवादास्पद, भेदभावपूर्ण और नुकसानदायक’ बताया है।
वहीं बीते 25 मार्च मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने लोकसभा में सरकार से आग्रह किया था कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को वापस लिया जाए क्योंकि इसे लेकर मुस्लिम समुदाय में घोर आक्रोश है। तो वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बीते सोमवार को कहा था कि देश भर में वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन समझ में आता है क्योंकि केवल एक विशेष धर्म को “निशाना” बनाया जा रहा है।
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जानकारी दें कि, संसद की संयुक्त समिति ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। हालांकि, यह अभी तक सूचीबद्ध नहीं हुआ है, लेकिन अटकलें हैं कि प्रस्तावित कानून को मौजूदा बजट सत्र के दौरान ही संसद में पारित करने के लिए पेश किया जा सकता है। इस खास विधेयक पर 31 सदस्यीय समिति ने कई बैठकों और सुनवाई के बाद प्रस्तावित कानून में कई संशोधन सुझाए, जबकि विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट से असहमति जताई।
वहीं लगभग 655 पन्नों की यह रिपोर्ट 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई थी। संयुक्त समिति ने सत्तारूढ़ BJP के सदस्यों द्वारा सुझाए गए बदलावों वाली रिपोर्ट को 15-11 बहुमत से स्वीकार कर लिया था। विपक्ष ने इस कवायद को वक्फ बोर्डों को नष्ट करने का प्रयास करार दिया था। पिछले साल आठ अगस्त को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद इस विधेयक को संयुक्त समिति को भेज दिया गया था।