अहमदाबाद प्लेन क्रैश (सोर्स- सोशल मीडिया)
Ahmedabad Plane Crash: 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हादसे के बाद बोइंग को मुश्किल में देखकर अमेरिका पूरे मामले को नया रंग देने की कोशिश में जुट गया है। अहमदाबाद हादसे के बाद विश्वसनीयता खो चुकी बोइंग को बर्बादी से बचाने के लिए अमेरिकी मीडिया ने भारतीय पायलट को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की रिपोर्ट और अमेरिकी अधिकारियों का हवाला देते हुए अमेरिकी अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने लिखा है कि कॉकपिट रिकॉर्डिंग से पता चला है कि फ्लाइट के कैप्टन सुमित सभरवाल ने खुद ही विमान के इंजनों की ईंधन आपूर्ति बंद कर दी थी।
अखबार ने आगे लिखा है कि सवाल पूछते समय को-पायलट हैरान था। उसकी आवाज में घबराहट थी, जबकि कैप्टन सुमित शांत दिख रहे थे। अमेरिकी मीडिया के इस दावे से हर कोई हैरान है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में विमान हादसे की जांच कर रहे अमेरिकी अधिकारियों की शुरुआती जांच से वाकिफ लोगों के हवाले से लिखा है।
आपको बता दें कि AAIB की रिपोर्ट में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि कैप्टन ने फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद किया था। वहीं, कैप्टन सुमित सभरवाल एयर इंडिया के विमान के वरिष्ठ पायलट थे। उनके पास 15,638 घंटे और सह-पायलट क्लाइव कुंदर के पास 3,403 घंटे उड़ान का अनुभव था।
12 जून को एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान ने लंदन के लिए उड़ान भरी। अहमदाबाद के रनवे से उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद एक अजीबोगरीब घटना घटी। कॉकपिट में मौजूद फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव सुंदर ने सीनियर कैप्टन सुमित सभरवाल से पूछा, “फ्यूल स्विच को ‘कटऑफ’ पोज़िशन में क्यों रखा गया था?” यह सवाल सुनकर फर्स्ट कैप्टन समेत सभी हैरान रह गए। उन्होंने अपने जवाब में कहा- मैंने ऐसा नहीं किया।
अहमदाबाद प्लेन क्रैश (फोटो- सोशल मीडिया)
आपको बता दें कि जिन पायलटों को अमेरिकी मीडिया इस हादसे का ज़िम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहा है, उनमें कैप्टन सभरवाल के पास 15,638 घंटे उड़ान का अनुभव था, जबकि कुंदर के पास 3,403 घंटे का अनुभव था। ऐसे में दोनों पायलटों में से किसी के लिए भी ऐसी गलती करना संभव नहीं है।
वहीं, एक मीडिया रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों ने अमेरिकी मीडिया की इस रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि कॉकपिट रिकॉर्डिंग से प्राप्त दोनों पायलटों की बातचीत को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का कोई कारण नहीं हो सकता कि वरिष्ठ पायलट ने ईंधन नियंत्रण स्विच को जानबूझकर बंद कर दिया था।
12 जून को उड़ान भरने के बाद ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई, जिसके बाद विमान के इंजनों को बिजली नहीं मिली। नतीजा यह हुआ कि जैसे ही विमान ने उड़ान भरी, उसकी गति और थ्रस्ट कम होने लगा और वह नीचे की ओर आने लगा। दुर्घटना के बाद जाँच में पता चला कि दुर्घटनास्थल पर दोनों ईंधन स्विच ‘कट’ स्थिति में थे। यानी शायद बाद में स्विच को फिर से चालू करने की कोशिश की गई थी।
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इसके अलावा, विमान के दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति फिर से शुरू होने के संकेत मिले, लेकिन तब तक विमान बहुत नीचे आ चुका था और दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सीसीटीवी फुटेज में यह भी देखा गया कि विमान के उड़ान भरते ही एक बैकअप ऊर्जा स्रोत, जिसे रैम एयर टर्बाइन कहा जाता है, बाहर आ गया। यह इस बात का संकेत था कि विमान के इंजनों की बिजली चली गई थी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने इस मामले में अपनी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि पूरी और पारदर्शी जाँच के बिना किसी को भी दोषी ठहराना गलत है। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है कि जाँच पूरी होने से पहले ही दोष देना जल्दबाजी और गैर-ज़िम्मेदाराना है। इससे पायलटों की पेशेवर छवि को नुकसान पहुंचता है और उनके परिवारों को भी नुकसान पहुंचता है।