पीड़ितों के परिजन (फोटो-सोशल मीडिया)
Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम विस्फोट में NIA की स्पेशल कोर्ट ने 7 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले पर वपक्षी दल के कई नेता सवाल उठा रहे हैं। वहीं भाजपा के खेमे में फैसले का स्वागत किया जा रहा है। आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे।
NIA कोर्ट का फैसला आने के बाद, इस बम ब्लास्ट में अपने परिजनों को खोने वालों की प्रतिक्रियाएं आई हैं। मृतकों के परिजनों का कहना है कि 17 बाद फैसला आया है। इसके बाद भी हमारे साथ न्याय नहीं हुआ है। सारे सबूतों को दरकिनार करते हुए कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया। हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। ये कहना है बम ब्लास्ट में मृतक सैयद अजहर निसार के पिता का।
इसी विस्फोट में लियाकत शेख ने अपनी 10 साल की नन्ही सी परी बेटी फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत को खो दिया था। घटना के समय बच्ची भिक्खु चौक पर वड़ा पाव लेने गई थी, लेकिन घर वाले आजतक उसके लौटने का इंतजार कर रहे हैं। लियाकत ने बताया कि जब उन्हें बम विस्फोट का पता चला तो उन्हें लगा की उनकी बेटी घर लौट आई होगी। कुछ समय बाद उन्हें सूचना मिली की उनकी बेटी की मौत हो गई है। घटना को याद करते हुए लियाकत की आंखे छलक पड़ीं। उन्होंने बताया बेटी को देखने लिए मैं अपनी पत्नी के साथ गया, लेकिन हमें रोक दिया गया। लियाकत को उम्मीद थी कि देर से ही सही लेकिन न्याय मिलेगा। कोर्ट के फैसले से लियाकत टूट गए हैं।
लियाकत कहना है कि कोर्ट का फैसला एकदम से गलत है। हेमंत करकरे साहब ने कई लोगों को पकड़ा था वो लोग कहां गए। क्या उन्होंने कुछ नहीं किया था? उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जो लोग बरी किए गए, उन्होंने बम नहीं फोड़ा था तो किसने ब्लास्ट किया। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। लियाकत ने कहा कि सबूत मिलने पर ही तो करकरे ने उन लोगों को पकड़ा था। मेरी बेटी की मौत का जिम्मेदार कौन है। हमें इंसाफ और बेटी को न्याय चाहिए।
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बता दें कि मालेगांव बम विस्फोट में जिन 6 लोगों की मौत हुई थी, उसमें फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह शामिल थे। कोर्ट में बम विस्फोट मामले में गिरफ्तार लोगों के लिए NIA ने फांसी की मांग की थी। धमाका 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव के भिक्खु चौक पर हुआ था।