मल्लिकार्जुन खड़गे, फोटो- सोशल मीडिया
Mallikarjun Kharge on PM Modi Manipur Visit: मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे को लेकर कहा कि यह “पीड़ित जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है”। खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर की हिंसा और त्रासदी को लगातार नजरअंदाज किया और अब जब चुनाव नजदीक हैं, तो वे केवल तीन घंटे के “प्रचार दौरे” पर पहुंचे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के विदेश दौरों की तुलना मणिपुर की स्थिति से करते हुए तंज कसा। उन्होंने कहा कि पिछले 864 दिनों में पीएम मोदी 46 बार विदेश यात्रा पर गए, लेकिन एक बार भी मणिपुर नहीं पहुंचे, जहां 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 67 हजार से अधिक लोग बेघर हुए हैं। खड़गे के अनुसार, प्रधानमंत्री की पिछली मणिपुर यात्रा जनवरी 2022 में हुई थी, वो भी केवल चुनाव प्रचार के लिए।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि पीएम मोदी का चुराचांदपुर और इम्फाल में रोड शो केवल सतही प्रयास है। यह राहत शिविरों में रह रहे हजारों लोगों की पीड़ा से मुंह मोड़ने की रणनीति है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री का यह दौरा केवल भव्य मंच सजाने और मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए किया जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बावजूद हालात नहीं सुधरे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि मणिपुर की जनता के साथ विश्वासघात किया गया है। खड़गे ने यह भी जोड़ा कि जब राज्य सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही तो केंद्र की जिम्मेदारी थी कि वह सख्त कदम उठाती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया कि उनका “राजधर्म” कहां गया। उन्होंने कहा कि यह दौरा न तो किसी पछतावे का संकेत है, न ही संवेदना का। यह केवल एक भव्य आयोजन है, जो मणिपुर के घावों पर प्रहार जैसा है। खड़गे ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री ने संवैधानिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है और पीड़ितों की पीड़ा को लेकर कभी गंभीर नहीं रहे।
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प्रधानमंत्री के इस दौरे पर कांग्रेस का तीखा रुख संकेत देता है कि मणिपुर की स्थिति आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकती है। कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा की असफलता के प्रतीक के रूप में पेश कर रही है और जनता के सामने “संवेदनशीलता बनाम दिखावा” की बहस को प्रमुखता से लाना चाहती है।