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… तो लाहौर हिंदुस्तान में होता, UN ने रोक दिया युद्ध नहीं तो पूर्व पीएम शास्त्री नक्शे से मिटा देते पाकिस्तान

सरहद-सेना और सियासत के तीसरे एपिसोड में कहानी 1965 भारत-पाकिस्तान के युद्ध की। इस युद्ध में भारत की सेना लाहौर तक पहुंच गई थी। अगर संयुक्त राष्ट्र संघ बीच में न आता तो पाकिस्तान को पूर्व पीएम शास्त्री नक्शे से मिटा देते।

  • By Saurabh Pal
Updated On: May 03, 2025 | 05:04 AM

1965 के युद्ध के दौरान लाहौर में भारतीय सेना, लाल बहादुर शास्त्री(फोटो- सोशल मीडिया)

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नवभारत डिजिटल डेस्कः बात 24 अगस्त 1947 की है। मोहम्मद अली जिन्ना कश्मीर में छुट्टी बिताना चाहते थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह को पसंद नहीं था कि इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मोहम्मद अली जिन्ना कश्मीर आएं। इसलिए उन्होंने जिन्ना को अपनी रियासत में एंट्री नहीं दी। हरि सिंह के इस फैसले को एक राष्ट्र के पितामह के अपमान की तरह देखा गया। इसके बाद रणनीतिक दृष्टि से अहम और 75 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले जम्मू-कश्मीर को किसी भी कीमत पर पाकिस्तान हासिल करने में जुट गया। सितंबर 1947 में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान ने हमला कर दिया। इस हमले के बाद हरि सिंह भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय पर राजी हुए। तब भारतीय सेना ने मोर्चा संभाला और पाक सेना को पीछे ढकेल ही रहा था कि सीजफायर का ऐलान हो गया। युद्ध खत्म हुआ तो POK बन चुका था। दोनों देशों के बीच एक रेखा खींच दी गई, जिसे LOC कहा जाता है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर से सीमा पर तनाव है। 5वीं बार युद्ध की संभावनाएं प्रबल हैं। ऐसे में सरहद-सेना और सियासत के तीसरे एपिसोड में जानिए 1965 भारत-पाक युद्ध की कहानी। इस युद्ध के बीच में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आ गया, नहीं तो लाहौर तक होता हिंदुस्तान और शास्त्री के सामने भीख मांगता पाकिस्तान।

भारत को कमजोर समझ कर पाक ने छेड़ा था युद्ध

1962 भारत-चीन युद्ध और इसके बाद 1964 पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद पाकिस्तान भारत को कमजोर समझ रहा था। इसी वजह से 1965 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के दिल में कश्मीर पर कब्जे का अरमान जाग गया। भारत को कमजोर समझ कर इस मौके का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर प्लान किया। इस ऑपरेशन में शामिल लोगों को दो काम दिए गए, पहला कश्मीरी मुस्लिमों को भारत के खिलाफ भड़काना और दूसरा भारतीय सेना के महत्वपूर्ण पोस्टों पर कब्जा करना। 5 अगस्त 1965 को कश्मीर में घुसपैठ हुई, लेकिन लोकल कश्मीरियों की मुखबिरी से यह ऑपरेशन फेल हो गया।

ऑपरेशन जिब्राल्टर फेल होते ही पाकिस्तान ने कर दिया हमला

ऑपरेशन जिब्राल्टर सिर्फ फेल नहीं हुआ, बल्कि इसके चलते पाकिस्तान के नापाक इरादे जगजाहिर हो गए। दरअसल ऑपरेशन जिब्राल्टर में शामिल  4 अफसरों भारत ने पकड़ लिया था। उन पकड़े अफसरों का 8 अगस्त को आकाशवाणी ने इंटरव्यू प्रसारित किया। जिस ऑपरेशन की जानकारी पाकिस्तान के बड़े-बड़े अधिकारियों को भी नहीं थी, उसके सार्वजनिक होने से पाकिस्तान तिलमिला गया। इसके बाद पाकिस्तान ने तोपों से गोलीबारी शुरू कर दी। यहीं से भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध की शुरुआत हुई।

लाहौर पहुंच गई थी भारतीय सेना

दो युद्ध लड़ चुकी भारतीय सेना ने नई तरकीब निकाली। कश्मीर पर प्रेशर कम करने और पाकिस्तान को अपने जाल में फंसाने के लिए भारत ने लाहौर की तरफ से मोर्चा खोल दिया। इस पूरे ऑपरेशन का कोड वर्ड था ‘बैंगल’। भारत की सेना ने 4 मोर्चे खोले और कुछ घंटो में ही डोगराई के उत्तर में भसीन, दोगाइच और बाहग्रियान पर कब्जा कर लिया। डोगराई लाहौर से मात्र 5 मिनट की दूरी पर है। अगर सड़क मार्ग की बात करें तो 11 किलोमीटर है।

सरहद-सेना और सियासत: भारत-पाकिस्तान का पहला युद्ध, भाग रहे थे जिन्ना के लड़ाके तभी नेहरू से हुई गलती…बन गया POK

‘कश्मीर के लिए 10 करोड़ पाकिस्तानियों की जान खतरे में नहीं डालेंगे’ 

भारत-पाक युद्ध के बीच में 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र संघ की एंट्री हो गई। इसके बाद सीजफायर की घोषणा हुई और युद्ध खत्म हो गया। हैरान-परेशान पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और कहा कि  ‘मैं चाहता हूं कि यह समझ लिया जाए कि पाकिस्तान 50 लाख कश्मीरियों के लिए 10 करोड़ पाकिस्तानियों की जिंदगी कभी खतरे में नहीं डालेगा, कभी नहीं।’ इसी जंग के बाद ताशकंद समझौता हुआ। ताशकंद में ही ड्रामेटिक तरीके से तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया। इसके बाद आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने भारत की कमान संभाली।

1965 indo pak war indian army captured lahore

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Published On: May 03, 2025 | 05:04 AM

Topics:  

  • Indian Army
  • Pahalgam Attack
  • Pakistan

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