सिंधु जल संधि पर इशाक डार का उकसाऊ बयान, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
India Pakistan Latest News: सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भारत के खिलाफ आवाज उठाई है। पाकिस्तानी उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने आरोप लगाया है कि भारत द्वारा एकतरफा रूप से सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने से पाकिस्तान में खाद्य, आर्थिक और मानवीय संकट गहराने का खतरा पैदा हो गया है।
शुक्रवार को इस्लामाबाद स्थित विदेश मंत्रालय में दुनिया भर के राजदूतों को संबोधित करते हुए इशाक डार ने कहा कि भारत लगातार योजनाबद्ध तरीके से सिंधु जल संधि को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि संधि के तहत जरूरी सूचनाएं साझा नहीं की जा रहीं और संयुक्त निगरानी व्यवस्था भी बाधित कर दी गई है।
डार ने विशेष रूप से चेनाब नदी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस साल दो बार नदी के जल प्रवाह में असामान्य उतार-चढ़ाव देखा गया है। उनके अनुसार, भारत ने बिना पूर्व सूचना दिए अचानक पानी छोड़ा जिससे पाकिस्तान के निचले इलाकों में गंभीर स्थिति पैदा हुई। उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि के तहत भारत पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने की जिम्मेदारी है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसी वजह से पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त को भारत को औपचारिक पत्र लिखना पड़ा।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि भारत द्वारा बनाए जा रहे हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट सिंधु जल संधि के प्रावधानों का उल्लंघन हैं। उनका कहना था कि ये परियोजनाएं पाकिस्तान के जल अधिकारों को प्रभावित कर सकती हैं और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा हैं।
इशाक डार ने तीखे शब्दों में चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि अगर भारत ने पाकिस्तान के हिस्से का पानी रोका तो इसे युद्ध जैसी कार्रवाई माना जाएगा। उन्होंने जोर दिया कि सिंधु जल संधि केवल दो देशों के बीच समझौता नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और दक्षिण एशिया की स्थिरता का आधार है।
दरअसल, सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। इसके तहत तीन पूर्वी नदियां—रावी, ब्यास और सतलुज भारत को दी गईं, जबकि तीन पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम और चेनाब मुख्य रूप से पाकिस्तान के उपयोग के लिए तय की गईं। यह संधि अब तक युद्धों और कूटनीतिक तनावों के बावजूद कायम रही थी।
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हालांकि अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई थी, के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित अवस्था में रखने का फैसला किया। भारत का कहना है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते यह कदम उठाना जरूरी हो गया था।