विश्व खाद्य दिवस 2025 (सौ. सोशल मीडिया)
World Food Day 2025: खाने की कीमत सिर्फ वहीं व्यक्ति समझ सकता है जिसने कई दिनों से एक निवाला भी भोजन न लिया हो। हम अक्सर शादी-पार्टियों या किसी आयोजन में खूब सारा थाली भरकर खाना लेते है औऱ जब खाने की बात आती है तो बस थोड़ा ही खाकर डस्टबिन में डाल देते है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है खाने की बर्बादी कितने लोगों को भूखा छोड़ देती है। देश में खाने की कमी से भूखमरी, कुपोषण की समस्या अब भी बनी हुई है।
खाना, हमारे लिए कितना जरूरी है इसे बताने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। फास्ट फूड खाने के दौर में पौष्टिक आहार का क्या अहमियत होती है इसके लिए खास दिन मनाते है।
हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस यानि वर्ल्ड फूड डे मनाया जाता है। यह खास दिन संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रिक्लचर ऑर्गनाइजेशन (FAO) द्ववारा आयोजित किया जाता है।हर साल दुनिया भर में भूखमरी और कुपोषण से हो रही मौतों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए विश्व खाद्य दिवस की शुरुआत की गई है। बताया जाता है कि, इस साल FAO इसकी 80वीं वर्षगांठ मना रहा है. लोगों में खाने को बर्बाद न करते हुए, सही तरीके से उसका उपयोग करना और कुछ तरीके अपनाना जिससे आप हेल्दी और सस्टेनेबल फ्यूचर की तरफ बढ़ सकें। बता दें, साल 2025 में इसका थीम बेहद खास है. इस बार हैंड इन हैंड फोर बेटर फूड्स एंड बेटर फ्यूचर (Hand in Hand For Better Foods And Better Future) को थीम में रखा गया है. इसका मतलब है कि कैसे सभी देश साथ आकर बेहतर भविष्य के लिए काम कर सकते हैं।
भारत में 19 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को हर रोज भूखे पेट रहना पड़ता है। भारत में हर साल करीब 40 प्रतिशत खाना बर्बाद हो जाता है. जो लगभग 92,000 करोड़ रुपये के खाने की बर्बादी होती है। वहीं पर ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में भारत की रैंक 116 देशों में 101वीं थी। आंकड़ों से जान सकते हैं कि, कैसे भारत में भूखे रहने का दायरा है। जहां भूख की समस्या बहुत गंभीर है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा भूखे लोग भारत में रहते हैं. यह आंकड़ा चीन से भी ज्यादा है, जो जनसंख्या में भारत के बराबर है। बताया जाता है कि, एक तरफ हर दिन लाखों लोग भूखे हैं और दूसरी तरफ हर साल करोड़ों टन खाना बर्बाद होता है, तो यह गंभीर कारण नजर आता है। यहां पर बर्बाद खाना होने का आंकड़ा करीब 250 करोड़ टन है। सिर्फ कोरोना काल से पहले ही दुनिया में 93 करोड़ टन खाना खराब हुआ था।
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इसमें से 63 प्रतिशत घरों से, 23 प्रतिशत रेस्टोरेंट से और 13 प्रतिशत रिटेल शॉप्स से बर्बाद हुआ। खाने की अहमियत बताने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत लाखों लोगों को सब्सिडी पर अनाज दिया जाता है. इसके अलावा मिड डे मील योजना, आंगनवाड़ी कार्यक्रम, और पीडीएस यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी योजनाएं भी चलती है।