परिवार नियोजन ( सौ. सोशल मीडिया)
Family Planning: पुराने समय से लेकर आधुनिक समय में परिवार नियोजन (Family Planning) की धारणाएं बदलती जा रही है। भारतीय परिवारों में पहले लोग जहां पर औसत रूप में तीन-चार बच्चे पैदा करते थे वहीं पर अब एक या दो बच्चे तक ही परिवार सिमट कर रह जाता है। बच्चे ज्यादा पैदा करने का कारण पुराने समय में यह होता था कि, जितने ज्यादा हाथ होंगे, उतनी ही ज्यादा कमाई होगी। वक्त के साथ यह धारणा में बदलाव आया है पहले गरीबी मिटाने के लिए भले ही बच्चों को पैदा किया जाता था परंतु अब आधुनिक समय में महंगाई के दौर के साथ परिवार एक या दो बच्चों से अधिक के बारे में सोचने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। इसके लिए बच्चों को बड़ा करने में आने वाला खर्च भी है। इसे लेकर रिसर्च भी आ चुकी है।
यहां पर ऑस्ट्रेलियाई नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अध्ययन में बताया गया है कि, कम आय वाले परिवार पहले बच्चे के पालन पोषण पर अपनी आय का करीब 17 प्रतिशत खर्च करते हैं और इसके बाद होने वाले प्रति बच्चे पर 13 प्रतिशत खर्च करते हैं। इसका कारण वक्त के साथ बढ़ रहे खर्चे होते है तो वहीं पर वजह है कि भारत में शिक्षित परिवार कम बच्चे पैदा कर रहे हैं, जिसका नतीजा यह हुआ है कि देश में प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर 2.1 पर आ गई है। यहां प्रतिस्थापन दर को समझें तो, जितने बच्चे पैदा हों, उतने ही लोगों की मौत हो रही है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में हम युवा देश नहीं रह जाएंगे। भविष्य में काम करने के लिए मानव संसाधन की कमी हो सकती है। यानि युवा पीढ़ी नहीं बचेगी ज्यादातर बुजुर्गों की आबादी बची रहेगी।
यहां पर अध्ययन में यह पता चला है कि, परिवार कुल मिला कर बच्चों पर कम रकम खर्च करते हैं। अध्ययन में इस सवाल का जवाब भी जानने का प्रयास किया गया है कि क्या बच्चों की उम्र के हिसाब से उनको बड़ा खर्च में खर्च बदल जाता है। इसके लिए ताजा जानकारी रिसर्च में आई है कि, छह से 12 वर्ष तक की उम्र के बच्चों की तुलना में कम उम्र के और अधिक उम्र के बच्चों का पालन पोषण पर अधिक लागत आती है। इसका कारण यह है छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कम बच्चे पैदा करने का चलन बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया, चीन और जापान और दक्षिण कोरिया में जनसंख्या कम हो रही है।
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यहां पर आंकड़ों के अनुसार जानकारी दी गई है। भारत में कम बच्चे पैदा करने के मौजूदा ट्रेंड के आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने एक अनुमान में पाया है कि 2062 तक भारत की जनसंख्या अपने अधिकतम स्तर पहुंचे जाएगी और उस समय देश की आबादी करीब 1.70 अरब होगी। इसमी वर्ष करीब 2,22,000 लोग आबादी में जुड़ेंगे। इसके बाद 2063 से देश की आबादी घटने लगेगी और इस वर्ष हमारे करीब देश की जनसंख्या में करीब 1,15,000 लोग कम हो जाएंगे। 2064 में यह संख्या 4,37,000 और 2065 में संख्या बढ़ कर 7,93,000 हो जाएगी।