गोल्ड मिल्क का महत्व (सौ. सोशल मीडिया)
Benefits of Liquid gold Milk: नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध अमृतपान की तरह होता है। बच्चे के जन्म से लेकर उसके 6 महीने की उम्र होने के साथ ही बच्चे के लिए दूध की अहमियत होती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा माताओं को सलाह दी जाती है कि, वे अपने शिशु को अपना स्तनपान कराएं। कई बार ऐसा होता है माताएं, किन्ही कारणों से अपना दूध शिशु को नहीं पिला पाती है।
इसके लिए ही हाल ही में भारत की मशहूर बैंडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने परोपकार का काम किया है। उन्होंने करीब 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया। उनके एक्टर-डायरेक्टर पति विष्णु विशाल ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी।
बताया जा रहा है कि, बैंडमिंटन प्लेयर ज्वाला गुट्टा ने यह दान ‘अमृतम फाउंडेशन’ के जरिए किया, जो माओं से स्तन दूध इकट्ठा करके उसे जरूरतमंद नवजातों तक पहुंचाने का काम करता है। यह दूध आगे चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन को भेजा गया। भारत में पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से ब्रेस्ट मिल्क बैंक अपना काम कर रहा है। सवाल उठता है कि आखिर इससे फायदा क्या है और कैसे ये जरूरतमंद शिशुओं तक पहुंचता है। ज्वाला ने अप्रैल माह में बेटी को जन्म दिया। तभी से ये क्रम चालू है।
17 अगस्त को ही उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था कि उनका दूध सिर्फ उनकी बच्ची के लिए नहीं, बल्कि उन बच्चों के लिए भी मददगार है जो जीवन की जंग लड़ रहे हैं—वो बच्चे जो समय से पहले जन्म लेते हैं और बीमार होते हैं। डोनर मिल्क जिंदगी बदल सकता है। अपनी इस पोस्ट के साथ कुछ तस्वीरें साझा की थीं जिसमें दूध के 70 पैकेट के साथ वो बैठी हुई दिखी थीं।
बताया जाता है कि, जब किसी स्वस्थ मां के शरीर में अपने बच्चे के लिए पर्याप्त दूध बनता है और इसके साथ-साथ अतिरिक्त दूध भी उत्पन्न होता है, तो वह इस अतिरिक्त दूध को ह्यूमन मिल्क बैंक में दान कर सकती है। वहां इस दूध को टेस्ट और पाश्चुराइज करके समय से पहले जन्मे या बीमार बच्चों को दिया जाता है। ये वो बच्चे होते हैं जिनकी माताएं दूध नहीं पिला पा रही होतीं। तभी तो इसे लिक्विड गोल्ड यानी तरल सोना कहा जाता है।
यह खास तरह का दूध उन बच्चों के लिए वरदान है जो जन्म से पहले जन्मे या प्रीमैच्योर है और किसी बीमारी से पीड़ित रहे। इस खास तरह के दूध में हर पोषक तत्व, एंटीबॉडी, और एंजाइम होते हैं। मां के दूध में जीवाणुनाशक तत्व होते हैं, जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, और सबसे प्यारी बात यह है कि मां एक दिन में औसतन 25-30 मिलीलीटर अतिरिक्त दूध दान कर सकती है, जो एक शिशु की जरूरतों को पूरा कर सकता है।
यहां पर लिक्विड गोल्ड दूध या दान किए दूध को प्रक्रिया के तहत ही बच्चों के पास पहुंचाया जाता है। दान किए गए दूध को पाश्चुराइज किया जाता है और फ्रीजर में 3 से 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। दूध किस जननी का लेना है इसे लेकर दात्री मां का पहले ब्लड टेस्ट किया जाता है। मां पूरी तरह से स्वस्थ होनी चाहिए और उसे एचआईवी या हेपेटाइटिस जैसी कोई गंभीर बीमारी या संक्रमण न नहीं होना चाहिए। दान के पहले मेडिकल स्क्रीनिंग जरूरी होती है। विदेशों में ऑनलाइन बिक्री होता है लेकिन ज्वाला गुट्टा ने परोपकार का काम किया है। गुट्टा ने एक अद्भुत मानवता की मिसाल पेश की है।
वे एक जानी-मानी शख्सियत हैं जिनके इस कदम ने कइयों को इस अति महत्वपूर्ण दान की महत्ता समझाई है। इस दान ने समझाया है कि शब्दों में ममता नहीं बांधी जा सकती, लेकिन कभी-कभी कुछ बूंदें एक जिंदगी को नया सवेरा दे सकती हैं। प्रीमेच्योर बच्चों के लिए मां का दूध जान बचाता है क्योंकि उनके इम्यून सिस्टम कमजोर होते हैं और बाहरी संक्रमणों का खतरा ज्यादा होता है।
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दूध दान की परंपरा कोई नई नहीं है। भारत में ‘धात्री मां’ या ‘दूध माता’ का जिक्र सदियों पुरानी कहानियों में मिलता है। पुराने समय में जब किसी महिला को दूध नहीं आता था या वह बच्चा खो देती थी, तो दूसरी महिला अपने दूध से उस शिशु को पालती थी। यह एक ‘पवित्र कर्तव्य’ माना जाता था। वैज्ञानिक रूप से, पहला आधिकारिक ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’ 1909 में वियना में स्थापित किया गया था। तो भारत में पहला दूध बैंक 1989 में सायन हॉस्पिटल, मुंबई में शुरू किया गया। आज देश भर में दर्जनों दूध बैंक हैं, जो समय से पूर्व जन्मे और बीमार शिशुओं को जीवन दान देते हैं।
आईएएनएस के अनुसार