लर्निंग डिसऑर्डर है डिस्लेक्सिया (सौ. सोशल मीडिया)
Symptoms of Dyslexia: बच्चे, अपने माता-पिता के दिए संस्कार ही सीखते है और उनका पालन करते है। माता-पिता अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए स्कूलों में दाखिला कराते है। कई बच्चे को पढ़ाई में कीर्तिमान गढ़ते है लेकिन कई बच्चे ऐसे होते है जिन्हें पढ़ने-लिखने में दिक्कत होती है। समय के साथ अगर यह समस्या बच्चे में नजर आती है तो यह गंभीर समस्या का रूप ले लेती है। इस समस्या में बच्चे को दूसरे बच्चों की तरह भाषा या चिन्हों को पढ़ने, समझने और याद करने में दिक्कत होती है और वे परीक्षाओं में बाकी बच्चों से पिछड़ जाते हैं।
आप एक्टर आमिर खान की फिल्म तारे जमीन पर देखी होगी इसमें ईशान नाम का बालक इस बीमारी डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से पीड़ित होता है। कई बॉलीवुड एक्टर्स भी इस बीमारी से प्रभावित रह चुके है। आखिर यह बीमारी क्या है औऱ इसका कारण और इलाज क्या है चलिए जानते है।
इस बीमारी की बात की जाए तो, गंभीर औऱ एक किस्म का लर्निंग डिसऑर्डर है। इस समस्या से प्रभावित बच्चे में लर्निंग डिसऑर्डर यानि सीखने में समस्या होती है। अगर किसी क्लास में 30 बच्चे हैं तो मुमकिन है कि तीन बच्चों में यह समस्या हो। इसे हिंदी में अधिगम अक्षमता भी कहते हैं। इस बीमारी को लेकर कहा जाता है कि, लर्निंग डिसऑर्डर मुख्यत: तीन तरह का होता है। डिस्लेक्सिया, डिस्ग्राफिया और डिस्कैलकुलिया। डिस्लेक्सिया में बच्चे को शब्दों को पढ़ने में दिक्कत होती है। डिस्ग्राफिया में बच्चा ठीक से लिख नहीं पाता और डिस्कैलकुलिया में उसे गणित में दिक्कत आती है।
इस डिस्लेक्सिया बीमारी के बढ़ने के क्या कारण होते है इसके बारे में जानकारी दी गई है। डिस्लेक्सिया एक तंत्रिका तंत्र से जुड़ी आनुवंशिक बीमारी या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। जन्म लेने पर इस बीमारी के कोई लक्षण नजर नहीं आते है लेकिन बच्चे के स्कूल जाने पर यह समस्या उभर कर आती है। बच्चों में भी इसके लक्षण तब समझ में आते हैं जब वे स्कूल जाना शुरू करते हैं क्योंकि जब वे भाषा या नई चीजें सीखने की कोशिश करते हैं तब दिक्कत आती है। इसके अलावा इन बच्चों का आईक्यू या बौद्धिक क्षमता औसत या औसत से ज्यादा भी हो सकती है। मतलब यह मानसिक रोग नहीं है। ऐसे बच्चे तमाम मॉर्डन गैजेट का बड़ी कुशलता से इस्तेमाल कर सकते हैं। पेंटिंग, म्यूजिक वगैरह में महारत हासिल कर सकते हैं।
इस बीमारी से प्रभावित होने के बाद स्कूल में पढ़ाई के दौरान बच्चे का प्रदर्शन अन्य बच्चों के मुकाबले कम रहता है। वह बीमारी की वजह से नए शब्द नहीं सीख पाते है तो वहीं पर एग्जाम में कम नंबर मिलते है। अगर बच्चे की नजर ठीक है, वह चीजों को समझ रहा है, पढ़ने की कोशिश कर रहा है फिर भी नंबर कम आ रहे हैं तो लर्निंग डिसऑर्डर की जांच करनी चाहिए। इसकी सबसे पहले पहचान स्कूल में पढ़ाने वाली टीचर करती है। इसलिए उनका जागरुक होना जरूरी है। कई बार ऐसा होता है कि, बच्चा आलस और शरारत की वजह से इस तरह की गलतियां करते है। पढ़ाई के लिए टीचर और पैरेंट्स दबाव बनाते है, जो गलत होता है।
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इसका इलाज ज्यादा कठिन नहीं है अगर सही समय पर पता इसका पता चल जाए तो बच्चे को वे काम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते है। बच्चे को पढ़ाई उसकी बीमारी को जानने के बाद आसानी से कराई जा सकती है। इसके अलावा उसे पेंटिंग, म्यूजिक, गेम्स में निपुण कराया जाता है। ऐसे बच्चे सामान्य जीवन बिताते हैं ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो डिस्लेक्सिया होने के बाद भी अच्छे जॉब कर रहे हैं।