कैसे हुई नूडल्स को बनाने की शुरुआत (सौ.सोशल मीडिया)
मौजूदा दौर में शायद ही कोई होगा। जिसे फास्ट फूड खाना ना पसंद हो। थोड़ा सा ही सही, लेकिन लगभग हर कोई कभी न कभी फास्ट फूड जरूर खाता है। जब कभी पार्टी होती है तो कुछ आए चाहे ना आए, नूडल्स जरूर मंगाए जाते हैं। क्योंकि ये खाने में चटपटे, मसालेदार और स्वादिष्ट लगते हैं। न सिर्फ इसकी खुशबू, बल्कि इसका टेस्ट भी लाजवाब होता है। यही वजह है कि ज्यादातर युवाओं की फास्ट फूड की पहली पसंद हमेशा नूडल्स ही होता है।
आपको बता दें, भारत में भी आज बड़े बड़े रेस्त्रां से लेकर स्ट्रीट फूड स्टॉल्स पर भी कई वैरायटी के नूडल्स मिल जाते हैं। अलग-अलग देशों के हिसाब से नूडल बनाने के तरीका बदलता जाता है और उसी के हिसाब से इनके स्वाद में अंतर आता जाता है। नूडल इतने पॉपुलर हैं, लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि ये कैसे और कब बनना शुरु हुए।
भारत में भले ही नूडल्स को एक स्ट्रीट फूड के तौर पर मिड क्रेविंग के लिए खाया जाता है, लेकिन कई देशों में ये पूरा एक टाइम का मील होता है। हमारे यहां ज्यादातर चाऊमिन, हक्का नूडल्स, मैगी और थुकपा पॉपुलर हैं। तो ऐसे में चलिए जान लेते हैं कि कैसे हुई नूडल्स को बनाने की शुरुआत
जानकारों के अनुसार, नूडल्स को बनाने की शुरुआत 4000 साल पहले हुई थी। उस दौरान बाजरा से बने नूडल्स हुआ करते थे और समय के साथ इसका विकास होता गया। इसे अलग-अलग तरह के अनाजों जैसे गेहूं और चावल आदि से बनाया जाने लगा।
अगर आपको नूडल्स बहुत पसंद हैं तो जान लें कि ये कोई मॉर्डन रेसिपी नहीं है, बल्कि नूडल्स का इतिहास बेहद पुराना है।
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जानकार बताते है कि, नूडल्स की उत्पत्ति सबसे पहले चीन में हुई थी। यहीं पर इसके पुराने साक्ष्य यानी सबूत मिलते हैं। समय बीतने के साथ ही नूडल्स पूरे एशिया में पॉपुलर हो गए साथ ही अन्य जगहों पर भी इसे खाया जाने लगा। जापान में, कुट्टू से बने सोबा नूडल्स को मुख्य रूप से खाया जाता है।
भारत में सेवइयां ट्रेडिशनल नूडल्स हैं, जिसे आज भी घरों में महिलाएं बनाने के बाद सुखाकर तैयार कर लेती हैं और दूध के साथ बनाया जाता है। इंस्टेंट नूडल्स को 1983 में पेश किया गया, जिससे ये काफी ज्यादा पॉपुलर हो गए और जैसे नूडल्स की दुनिया में एक क्रांति सी आ गई। हालांकि इसकी अवधारणा काफी पुरानी है।