फरीदाबाद में 2 घंटे में 2 बार हुआ अटल लाइब्रेरी का उद्घाटन, फोटो- सोशल मीडिया
‘Ribbon War’ in Faridabad: हरियाणा के फरीदाबाद में भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी खींचतान उस वक्त तमाशा बन गई, जब सेक्टर-12 स्थित नवनिर्मित अटल लाइब्रेरी का 2 घंटे के भीतर दो बार उद्घाटन किया गया। प्रोटोकॉल और श्रेय लेने की इस होड़ में पार्टी के दिग्गज नेता और मंत्री दो धड़ों में बंटे नजर आए।
पूरा विवाद सेक्टर-12 के टाउन पार्क में बनी अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति लाइब्रेरी को लेकर शुरू हुआ। शनिवार को सबसे पहले हरियाणा के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल, खाद्य मंत्री राजेश नागर और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर टाउन पार्क पहुंचे। प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुनने के बाद, करीब दोपहर 12:30 बजे इन नेताओं ने रिबन काटकर लाइब्रेरी का उद्घाटन कर दिया। रोचक बात यह रही कि उद्घाटन के लिए लगे शिलापट्ट (बोर्ड) पर मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का नाम दर्ज था, लेकिन विपुल गोयल ने उनके आने से पहले ही बोर्ड से पर्दा हटाकर फोटो खिंचवाए और उद्घाटन की रस्म पूरी कर दी।
पहले उद्घाटन के करीब ढाई घंटे बाद, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने समर्थकों, विधायकों (धनेश अद्लखा, सतीश फागना) और मेयर प्रवीण बत्रा के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उनके आने से पहले वहां एक बार फिर रिबन लगाया गया और आनन-फानन में साफ-सफाई की गई। गुर्जर ने उसी लाइब्रेरी का दोबारा उद्घाटन किया और अपने नाम वाले शिलापट्ट के सामने खड़े होकर आधिकारिक रूप से फोटो खिंचवाए। एक ही सरकारी प्रोजेक्ट का दो बार रिबन काटा जाना शहर में चर्चा का विषय बन गया है, जिसे सीधे तौर पर बीजेपी के स्थानीय नेतृत्व के बीच की दरार के रूप में देखा जा रहा है।
इस खींचतान पर जब नेताओं से सवाल किए गए, तो दोनों पक्षों ने अलग-अलग दलीलें दीं। विपुल गोयल ने सफाई देते हुए कहा कि जो होना था वो हो गया और उनके संज्ञान में नहीं है कि दोबारा किसने उद्घाटन किया। उन्होंने दावा किया कि प्रोटोकॉल के हिसाब से सभी के नाम बोर्ड पर थे। वहीं, कृष्णपाल गुर्जर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वे विभाग से मिली सरकारी सूचना और तय समय के अनुसार वहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि पत्थर पर उनका नाम मुख्य अतिथि के रूप में था, और जो उनसे पहले उद्घाटन कर गए, उसके बारे में उन्हीं से पूछा जाना चाहिए।
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संगठन की साख पर सवाल HSIIDC द्वारा निर्मित इस लाइब्रेरी के उद्घाटन ने पार्टी संगठन के भीतर समन्वय की कमी को उजागर कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों गुट एक-दूसरे से आगे निकलने की दौड़ में अनुशासन की रेखा पार कर रहे हैं। यह घटनाक्रम न केवल प्रशासनिक अधिकारियों के लिए असमंजस का कारण बना, बल्कि सोशल मीडिया पर भी बीजेपी की गुटबाजी को लेकर सवाल उठने लगे हैं।