मुंबई: विजय खरे को भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का ‘गब्बर’ कहा जाता था। 72 साल की उम्र में विजय खरे का निधन हो गया है। रविवार को बेंगलुरु के कावेरी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में विलेन के तौर पर अपनी जबरदस्त पहचान बनाई थी। 1976 में आई फिल्म ‘रईसजादा’ और 1983 में आई फिल्म ‘गंगा किनारे मेरा गांव’ में उनके किरदार को काफी पसंद किया गया था।
परिवार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विजय खरे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते कुछ दिनों से उनके किडनी की समस्या का इलाज चल रहा था और वह बेंगलुरु के कावेरी अस्पताल में उपचार ले रहे थे। जहां उनकी तबीयत ठीक थी, लेकिन अचानक ऑर्गन्स ने रेस्पॉन्ड करना बंद कर दिया और तबीयत ज्यादा खराब हो गई। जिसके चलते उनकी मौत हो गई है।
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विजय खरे के फिल्मी करियर की अगर बात करें तो उन्होंने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। 2019 में उन्हें भोजपुरी सिनेमा में उनके योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था। विजय खरे के बेटे संतोष खरे और आशुतोष खरे उनके अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं। उनके बीच के बेटे अशुतोष खरे ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। वे अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में विजय खरे की परंपरा को आगे ले जा रहे हैं।
विजय खरे के निधन की खबर के बाद से ही मुजफ्फरपुर में स्थित उनके घर पर परिवार, रिश्तेदार और फैंस की भीड़ जुटने लगी है। विजय खरे के बारे में यही कहा जा सकता है कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके किरदार के जरिए लंबे समय तक वह अपने चाहने वालों के दिल में जिंदा रहेंगे।