
तबला वादक जाकिर हुसैन को सैन फ्रांसिस्को में किया सुपुर्द-ए-खाक, भारतीय संगीत के एक युग का हुआ अंत (सौ. सोशल मीडिया)
मुंबई: भारत के प्रसिद्ध तबला वादक और संगीतकार जाकिर हुसैन का 16 दिसंबर 2024 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे और पिछले दो सप्ताह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। लगातार उनकी हालत बिगड़ने के बाद बिगड़ाव होने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था। 19 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार सैन फ्रांसिस्को में परिवार और करीबी दोस्तों की उपस्थिति में किया गया। उनके निधन से न केवल भारतीय बल्कि विश्वभर के संगीत प्रेमियों और कलाकारों ने शोक व्यक्त किया है।
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वह उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे, जो स्वयं एक महान तबला वादक थे। जाकिर हुसैन ने अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की थी और अपने पिता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय संगीत जगत में भी अपनी अद्वितीय पहचान बनाई। उनकी संगीत शैली में विशेष रूप से तबला वादन की उच्चतम तकनीकी क्षमता, रचनात्मकता और भावनात्मक गहराई देखने को मिलती थी।
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जाकिर हुसैन के करियर में कई मील के पत्थर रहे। उन्होंने चार बार ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिसमें से तीन पुरस्कार उन्हें 2023 में मिले। भारतीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002) और पद्म विभूषण (2023) जैसे सर्वोच्च सम्मान मिले थे। इसके अलावा, उन्होंने अपने करियर के दौरान दुनिया भर के प्रमुख संगीतकारों के साथ मंच साझा किया, जिनमें जॉन मैक्लाफ्लिन, एलन हॉकिन्स, और कई अन्य प्रसिद्ध नाम शामिल थे। उनका तबला वादन सिर्फ शास्त्रीय संगीत प्रेमियों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह हर संगीत प्रेमी को आकर्षित करता था।
उनकी मौत भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए एक बड़ी क्षति है, क्योंकि जाकिर हुसैन का संगीत ना केवल कला की ऊंचाई पर था, बल्कि उनके द्वारा किए गए संगीत प्रयोगों ने इस शास्त्रीय शैली को एक वैश्विक पहचान भी दी। वे हमेशा संगीत के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और समर्पण के लिए याद किए जाएंगे। उनके निधन के बाद, संगीत जगत और उनके प्रशंसकों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। जाकिर हुसैन का योगदान संगीत के इतिहास में हमेशा अमिट रहेगा और उनकी कला आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।






