सनी देओल: असली सिनेमा बनाना भूल गया गया है बॉलीवुड
Sunny Deol Before Jaat Release: हिंदी सिनेमा में अपने दमदार अभिनय और शानदार डायलॉग्स के लिए मशहूर अभिनेता देओल की फिल्म जाट रिलीज हो चुकी है। नवभारत से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में एक्टर ने बताया कि घर में बहू आने के बाद देओल परिवार की किस्मत चमक उठी है और सभी शुभ चीजें देखने को मिल रही है। पेश है एक्टर संग हुई बातचीत के कुछ अंश…
‘गदर 2’ के बाद दर्शकों की आपसे उम्मीदें बढ़ी हैं, ऐसे में इस फिल्म को हां कहने की कोई अहम वजह
‘गदर 2’ के बाद मैथ्री ने मुझे साइन कर ली थी। मेरे पास एक कहानी थी जो हमने कोविड-19 के दौरान तैयार की थी। मैंने इस कहानी को लेकर कई लोगों को अप्रोच किया लेकिन किसी निर्देशक ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। फिर मैत्री प्रोडक्शन्स ने मुझे सलाह दी कि डायरेक्टर गोपीचंद मलिनेनी से बात करो, वे इस फिल्म को जरूर करेंगे। अब गोपीचंद के पास भी एक कहानी थी जो मैंने सुनी और वो थी ‘जाट’ की कहानी। वो मुझे इतनी पसंद आई कि मैंने कहा चलो पहले इस पर काम करते हैं। फिल्म का ट्रेलर भी अगर आप देखोगे तो इसमें ड्रामा है, एक्शन है और इमोशन है। ये बेहद रोमांचक है। पंजाब में कोई जट कहता है और कोई जाट कहता है, फिल्म में जो मेरा लीड करैक्टर है वो जाट कम्युनिटी से है। मेरे अनुसार, वहां जितने भी किसान हैं वे अधिकांश जाट ही हैं। तो वहां से फिल्म का टाइटल जाट रखने का फैसला किया।
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‘गदर 2’ से पहले आप एक फिल्म थी जिसका नाम था ‘चुप’ उसके बारे बताइए
मेरा स्टारडम जिस तरह की फिल्मों से रहा है, ‘चुप’ उससे काफी काफी अलग प्रकार की फिल्म थी और जिन इलाकों में मेरा स्टारडम उन जगहों पर शायद लोग उस तरह का सिनेमा नहीं देखते हैं। मेरी ऑडियंस ‘गदर’ वाली थी और ‘चुप’ एक शहर की फिल्म थी जो भारतीय सिनेमा जगत की सच्चाई को उजागर करती है। तो शायद शहरी ऑडियंस है जो ‘चुप’ जैसी कहानी को समझ पाएगी लेकिन शायद ‘गदर 2’ वाली ऑडियंस मेरी उस फिल्म से राबता महसूस नहीं कर पाई। यही कारण होगा कि वो फिल्म नहीं चली। ‘गदर 2’ के बाद मुझे काफी सोच-समझकर ऐसी फिल्में करनी है जो दर्शकों को पसंद आए और वे इससे जुड़ाव महसूस करे। ‘चुप’ एक खूबसूरत फिल्म थी जिसे आर. बल्कि साहब ने निर्देशित की थी।
फैंस पूछ रहे हैं कि दक्षिण के फिल्मकारों के साथ काम करने में इतना समय क्यों लगा
दरअसल, एक एक्टर अपने करियर की दिशा ऑडियंस की उम्मीदों के हिसाब से ही मोड़ता है। लोग मुझे ‘गदर 2’ जैसी फिल्म में देखना चाहते था और रिलीज के बाद उन्होंने उसे ब्लॉकबस्टर बनाया। उसके बाद अब मैं वैसी ही फिल्म करता हूं जिसमें वे मुझे देखना चाहते हैं। ‘गदर 2’ में मुझे देखने के बाद दक्षिण के प्रोड्यूसर्स को भी लगा कि मुझे अपनी किसी ऐसी एक्शन पैक्ड कमर्शियल फिल्म में कास्ट करे और उन्होंने मेरी ओर फिल्म का प्रस्ताव भेजा।
देओल फैमिली इस समय काफी प्रसन्न है, घर में सभी को काफी सफलता मिल रही है
हम पर यकीनन ईश्वर की बड़ी कृपा है। जब से मेरे बेटे राजवीर देओल की शादी हुई है और घर में एक लड़की आई है। तब से परिवार में सभी चीजें काफी अच्छी हो रही हैं। उम्मीद रखता हूं कि आगे भी चीजें ऐसी ही बनी रहे।
आपने अभी दक्षिण के फिल्मकार के साथ काम किया. बॉलीवुड और साउथ में आपने क्या अंतर पाया
देखिये, सिनेमा हमेशा ऐसा होना चाहिए जो अपनी जड़ों से जुड़ा हो और साउथ इस चीज को बखूभी समझता है। दर्शक भी ऐसी फिल्में पसंद करते हैं जिसमें उन्हें अपनापन और अपनी कहानी महसूस हो। साउथ इस चीज को समझता है। लेकिन बॉलीवुड पिछले कुछ सालों से ऐसी फिल्में नहीं बना रहा है। हमारे दौर के जो निर्देशक निर्माता थे अब उनकी जगह नए मेकर्स आ गए हैं और वे वैसी फिल्में नहीं बना पा रहे हैं। हम फिर साउथ की फिल्मों का रीमेक करके बनाने लगे और उनसे सीखने लगे कि कहानियां कैसी होनी चाहिए। हम असली सिनेमा बनाना भूल चुके हैं और इसलिए उम्मीद है कि अब चीजें बदलेंगी।