रवि किशन ने बताया शुक्ला सरनेम की वजह से नहीं मिलता था काम
मुंबई: फिल्म इंडस्ट्री में 15 साल से अधिक समय तक संघर्ष करने वाले रवि किशन आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। बॉलीवुड हो या फिर भोजपुरी सिनेमा या साउथ की फिल्में उन्होंने हर जगह अपने अभिनय का जलवा दिखाया और दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहे। रवि किशन ने एक इंटरव्यू के दौरान संघर्ष और अपनी गरीबी के दिनों को याद किया और बताया कि गरीबी ने उन्हें छोड़ दिया है लेकिन वह गरीबी को नहीं छोड़ पाए हैं। वह आज भी अपने लिए महंगा सामान नहीं खरीद पाते और 7 स्टार होटल में महंगा खाना ऑर्डर नहीं कर पाते हैं। रवि किशन ने शुक्ला सरनेम हटाने का भी किस्सा सुनाया है कि आखिर उन्हें अपना सरनेम हटाने की जरूरत क्यों पड़ी।
शुभंकर मिश्रा से बातचीत के दौरान रवि किशन ने अपने गरीबी के दिनों को याद किया और बताया कि वह मिट्टी की झोपड़ी में रहा करते थे। उनके ऊपर काफी जिम्मेदारियां थी। उनका खेत गिरवी रखा हुआ था। उन्होंने कहा मैंने बहुत गरीबी देखी है। इतना की खिचड़ी को 12 लोगों को बांटना पड़ता था। वह भी पानी डालकर। मुंबई में संघर्ष के दिनों को याद करते हुए रवि किशन ने बताया कि मुंबई में वह चाय और वडा पाव से गुजारा करते थे। 15 साल तक इंडस्ट्री में उन्होंने संघर्ष किया, उन्हें ठीक से पैसे भी नहीं मिलते थे। उन्होंने यह कहा कि मैंने बहुत अपमान झेला है लोगों को एक दो बार बेइज्जत होना पड़ता है, मैंने हजारों बार बेइज्जती झेली है।
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रवि किशन से जब यह पूछा गया कि उन्होंने अपने नाम के आगे से शुक्ला सरनेम क्यों हटा लिया? तो उन्होंने कहा कि सरनेम की वजह से मुझे काम नहीं मिलता था और उसे समय मेरे लिए पैसा कमाना बहुत जरूरी था। इसलिए मैंने अपने नाम के आगे से सरनेम हटा दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अब इंडस्ट्री में शुक्ला, त्रिपाठी, वाजपेई सब मौजूद हैं लेकिन जब वह संघर्ष कर रहे थे। तब इस सरनेम की वजह से लोगों को कम नहीं मिलता था। रवि किशन फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ राजनीति में भी कदम रख चुके हैं। वह गोरखपुर सीट से बीजेपी के सांसद हैं।