मालिनी अवस्थी (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Malini Awasthi Statement Viral: 13 दिसंबर 2001 का दिन भारतीय इतिहास के सबसे दर्दनाक और भयावह अध्यायों में दर्ज है। इसी दिन देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित संसद भवन पर आतंकियों ने हमला कर पूरे राष्ट्र को झकझोर कर रख दिया था। इस कायराना हमले में 14 लोगों ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज संसद हमले की 24वीं बरसी पर लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने उस दिन को याद करते हुए अपनी भावनाएं साझा की हैं और बिना किसी फिल्म का नाम लिए हाल ही में रिलीज हुई एक देशभक्ति फिल्म ‘धुरंधर’ की सराहना की है।
आईएएनएस से खास बातचीत में मालिनी अवस्थी ने कहा कि संसद हमला आज़ाद भारत की सबसे चौंकाने वाली घटनाओं में से एक था। उन्होंने कहा, “संसद को देश की सबसे सुरक्षित जगहों में गिना जाता है, जहां चुने हुए प्रतिनिधि देश के भविष्य से जुड़े फैसले लेते हैं। ऐसे स्थान पर आतंकियों का हमला कर पाना हम सभी के लिए अकल्पनीय था। उस दिन हम घरों में टीवी के सामने बैठे थे और जो देख रहे थे, उस पर यकीन कर पाना मुश्किल था।”
लोक गायिका ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकियों द्वारा अंजाम दिए गए इस हमले ने पूरे देश को भीतर तक हिला दिया था। उनके मुताबिक, इतने वर्षों बाद भी उस दिन की तस्वीरें और खबरें मन में ताजा हो जाती हैं।
मालिनी अवस्थी ने कहा कि समय-समय पर ऐसी घटनाओं पर आधारित फिल्में बनती रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, “संयोग से इतने साल बाद ऐसी फिल्म आई है, जो आतंकवाद के दर्द, उस भय और हमारे जवानों की कुर्बानी को पर्दे पर दिखाती है। ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को याद रखना जरूरी है, क्योंकि हमने तो इन्हें अपनी आंखों से देखा, लेकिन आज की पीढ़ी इससे अनजान है।”
उन्होंने आगे कहा कि सिनेमा इतिहास को जीवित रखने का एक सशक्त माध्यम है। फिल्मों के जरिए नई पीढ़ी उन शहीदों के बलिदान को समझ सकती है, जिन्होंने हंसते-हंसते देश के लिए अपनी जान दे दी।
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बातचीत के दौरान मालिनी अवस्थी ने आतंकवाद के प्रति सहानुभूति रखने वालों पर भी कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “आज हम ऐसे दौर में हैं, जहां आतंकी घटनाओं में पहले की तुलना में कमी आई है, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है। लेकिन आज भी कुछ लोग आतंकियों के प्रति नरमी दिखाते हैं। ऐसे विचारों का खुलकर विरोध किया जाना चाहिए।” मालिनी अवस्थी के ये शब्द न सिर्फ उस काले दिन की याद दिलाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि शहीदों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जाना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)