हिजाब विवाद पर फलक नाज का फूटा गुस्सा (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Nitish Kumar Hijab Controversy: इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बड़े विवाद को लेकर सुर्खियों में हैं। मामला एक मुस्लिम महिला डॉक्टर से जुड़ा है, जिनका कथित तौर पर सार्वजनिक मंच पर हिजाब खींचा गया। इस घटना के बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां एक ओर लोग नीतीश कुमार की आलोचना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ नेता उनके समर्थन में बयान देकर नया विवाद खड़ा कर रहे हैं।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद का एक बयान सामने आया, जिसने लोगों का गुस्सा और भड़का दिया। एक इंटरव्यू में संजय निषाद ने नीतीश कुमार की इस हरकत को कम गंभीर बताते हुए कहा कि इसमें इतना हंगामा क्यों हो रहा है, क्योंकि उन्होंने सिर्फ हिजाब को छुआ था। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर “कहीं और छू लिया होता तो क्या हो जाता?” इस बयान का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
इस बयान पर अब एक्ट्रेस और ‘बिग बॉस ओटीटी 2’ की कंटेस्टेंट फलक नाज का गुस्सा फूट पड़ा है। फलक नाज ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर संजय निषाद और पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“सम्मान ऐसा दें कि उसके आत्मसम्मान की धज्जियां उड़ जाएं। क्या हो गया जो उसका हिजाब छू लिया? कहीं और छू लेते तो क्या हो जाता? ये कैसे सोच है?”
फलक नाज ने आगे कहा कि हिजाब ही नहीं, किसी महिला को कहीं भी छूना गलत है। उन्होंने बेहद कड़े शब्दों में कहा,“आप लोग रावण से भी गए गुजरे हो। रावण ने भी सीता जी का अपहरण किया, लेकिन उनकी इच्छा के खिलाफ उन्हें छुआ नहीं था। आप लोग उससे भी आगे निकल गए हो।”
एक्ट्रेस ने यह भी कहा कि किसी महिला का सार्वजनिक रूप से दुपट्टा या नकाब खींचना उसकी इज्जत को रौंदने जैसा है। उन्होंने कहा, “सम्मान देखने के लिए बुलाया और उसका नकाब खींच लिया। ये ऐसा लगता है जैसे बीच बाजार किसी महिला का दुपट्टा खींच लिया जाए। किसी औरत के लिए पढ़-लिखकर आगे बढ़ना कितना मुश्किल होता है, और एक सेकंड में उसकी मेहनत और आत्मसम्मान कुचल दिया जाता है।”
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फलक नाज ने इस बात पर गहरा अफसोस जताया कि देश में महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं और हैरानी की बात यह है कि ये हरकतें किसी गली के आवारा लड़के नहीं, बल्कि देश के नेता कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि नेताओं का पढ़ा-लिखा और संवेदनशील होना बेहद जरूरी है, क्योंकि युवा पीढ़ी उन्हें देखकर सीखती है। फिलहाल, यह विवाद अब सिर्फ एक घटना नहीं रहा, बल्कि महिलाओं के सम्मान, संवेदनशीलता और नेताओं की जिम्मेदारी पर एक बड़ी बहस बन चुका है।