रिश्तों की उलझन में प्यार को अपडेट करने का पाठ पढ़ाती है फिल्म मेट्रो इन दिनों
आज की इस दुनिया में हर चीज के लिए अपडेट जरूरी है, तो फिर प्यार से अछूता क्यों रह जाए? अनुराग बसु की फिल्म मेट्रो इन दोनों बस यही बात आसानी से समझाने का प्रयास करती नजर आ रही है। फिल्म में चार अलग-अलग एज ग्रुप की प्यार की कहानी को दिखाया गया है। क्या अनुराग बसु अपने इस जटिल प्रयास में सफल रहे हैं? इस सवाल का जवाब अगर देना हो तो यह कहा जा सकता है कि कुछ हद तक उन्होंने इसमें सफलता हासिल की है। वैसे प्यार एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसे समझना आसान नहीं है और जिसने यह समझ लिया फिर उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं।
कहानी: फिल्म की कहानी चार अलग-अलग एज ग्रुप के प्यार को दर्शाती है। पहले जोड़ी है मोंटी (पंकज त्रिपाठी) और काजोल (कोंकणा सेन शर्मा) की। दूसरी जोड़ी है शिवानी (नीना गुप्ता) और संजीव (सारस्वत चटर्जी) की। तीसरी जोड़ी है चुमकी (सारा अली खान) और आनंद (कुश जोतवानी) की। चौथी जोड़ी है श्रुति (फातिमा सना शेख) और आकाश (अली फजल) की। लेकिन इन जोड़ियां में तीसरा एंगल भी है चुमकी और ब्लॉगर पार्थ (आदित्य रॉय कपूर) का एंगल, शिवानी और परिमल (अनुपम खेर) के प्यार का एंगल। फिल्म की कहानी बेहद मजेदार है। यह किरदार एक दूसरे से रिश्तो में बंधे हुए भी हैं। इनके बीच क्या कनेक्शन है और इनके प्यार का हश्र क्या होता है? क्लाइमेक्स में प्यार की कहानी कहां तक पहुंचती है? यह सब कुछ जानने के लिए फिल्म देखना होगा। लेकिन कहानी कुछ ऐसी है जो आपको बोर नहीं करेगी, पहला हाफ दूसरे हाफ के मुकाबले ज्यादा तेज है, इसलिए दूसरा हाफ थोड़ा स्लो नजर आता है, लेकिन कुल मिलाकर कहानी मजेदार है, थिएटर में आकर आपका पैसा वेस्ट हुआ यह ख्याल आपके मन में नहीं आएगा।
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संगीत: फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के मुताबिक ठीक-ठाक है, लेकिन अगर गीतों की बात करें तो फिल्म में ढेर सारे गाने हैं, जो बैकग्राउंड में बज रहे हैं। प्रीतम के संगीत ने सभी गानों के साथ इंसाफ किया है ये कहा जा सकता है। प्रीतम के संगीत में शायराना अंदाज भी आपको लुभा सकता है।
एक्टिंग और डायरेक्शन: फिल्म में सभी कलाकारों ने नपी-तुली एक्टिंग की है और सभी ने अपनी किरदार के साथ पूरा पूरा इंसाफ किया है। काजोल और मोंटी की जोड़ी आपको बाकी जोड़ियों से अधिक पसंद आएगी यह कहा जा सकता है। डायरेक्शन कि अगर बात करें तो इसमें अनुराग बसु का डायरेक्शन बेहतर दिखाई दे रहा है। चार प्रेम कहानियों के बीच उलझन और फिर उसे एक अंजाम तक पहुंचाना यह दर्शाता है कि अनुराग बसु इस चीज में माहिर है। फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जो आप पहले से ना जानते हो लेकिन फिर भी कहानी नई लगती है और इसे पेश करने का तरीका आपको पसंद आएगा।
क्यों देखें फिल्म: काम और मानसिक थकान के बाद एक छोटा सा ब्रेक चाहते हैं तो यह फिल्म आपको कुछ समय के लिए टेंशन से दूर एक अलग दुनिया में ले जा सकती है। इसलिए अगर चाहे तो इस फिल्म को देख सकते हैं।