
मन्ना डे (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Manna Dey Death Anniversary: जब भी हिंदी फिल्मों के सदाबहार गीतों की बात होती है, तो मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के नाम याद आते हैं। लेकिन उनके साथ ही मन्ना डे का नाम भी हमेशा चमकता है। मन्ना डे की आवाज इतनी मधुर और पहचानने योग्य थी कि श्रोता फिल्मों के नाम या कलाकार भूल जाएं, लेकिन उनके गाए गीत कभी नहीं भूलते। आज 24 अक्टूबर को हम मन्ना डे की पुण्यतिथि पर उनके संगीत सफर और जीवन की याद करते हैं।
दरअसल, मन्ना डे का जन्म 1 मई 1919 को कोलकाता में प्रबोध चंद्र डे के रूप में हुआ। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत 1942 में फिल्म ‘तमन्ना’ से की, जिसमें उन्होंने मशहूर गायिका सुरैया के साथ गाया। इसके बाद ‘राम राज्य (1943)’ में उनके गीत ‘गई तू गई सीता सती’ को महात्मा गांधी तक ने सराहा।
मन्ना डे की खासियत यह थी कि वे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण गीतों को सहजता से गा लेते थे। संगीतकारों ने उनकी इस क्षमता को देखते हुए कठिन गीतों के लिए हमेशा मन्ना डे का ही चयन किया। राजकपूर ने भी उन्हें कई फिल्मों में चुना। विशेष रूप से फिल्म ‘चोरी चोरी (1956)’ में गीत ‘ये रात भीगी भीगी’ को मुकेश की जगह मन्ना डे और लता मंगेशकर से रिकॉर्ड कराया गया। यह गीत आज भी हिंदी सिनेमा के सबसे रोमांटिक गीतों में गिना जाता है।
मन्ना डे के गायन की तारीफ उनके समकालीन कलाकारों ने भी की। मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर भी उनके गीतों के कायल थे। लता जी ने उन्हें ‘उपकार’ फिल्म के गीत ‘कसमें वादे प्यार वफा’ के लिए बेहद सराहा।
अपने करियर में मन्ना डे ने हिंदी और बांग्ला के अलावा कुल 14 भाषाओं में गाने गाए। पांच दशकों के करियर में उन्होंने लगभग 3047 गीत रिकॉर्ड किए। उनके प्रसिद्ध गीतों में ‘यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी’ (जंजीर), ‘जिंदगी कैसी ये पहली’ (आनंद), और ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ (श्री 420) शामिल हैं।
ये भी पढ़ें- ‘सुपर कमांडो ध्रुव’ पर फिल्म बनाएंगे शाहरुख खान, आर्यन संभालेंगे कमान, फिर एक बार मचेगा धमाल
मन्ना डे की आवाज़ आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित है। उनका संगीत न केवल क्लासिक है बल्कि हर पीढ़ी के श्रोता उन्हें सुनकर भाव-विभोर होते हैं। मन्ना डे हिंदी सिनेमा के ऐसे गायक हैं, जिनकी धुनें और गायकी हमेशा अमर रहेंगी।






