लता मंगेशकर को दिलीप कुमार की फिल्म से क्यों किया गया था रिजेक्ट
Lata Mangeshkar Birth Annivarsary Special Story: सुरों की मल्लिका कही जाने वाली मशहूर गायिका लता मंगेशकर की 28 सितंबर यानी आज बर्थ एनिवर्सरी हैं। गायिका का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी गाई हुई धुनें, भजन और फिल्मी गाने लोगों की यादों में हमेशा गूंजते रहेंगे। लता दीदी का सफर जितना शानदार रहा, उतना ही संघर्षों से भरा भी। उनके करियर से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा उनके शुरुआती दिनों से जुड़ा है, जब उन्हें दिलीप कुमार की फिल्म से बाहर कर दिया गया था।
लता मंगेशकर ने जब इंडस्ट्री में कदम रखा, तो कई लोग उनकी आवाज को पतला और कमजोर बताते थे। कहा जाता है कि फिल्म ‘शहीद’ के लिए लता दीदी का नाम आया, लेकिन उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि उनकी आवाज इस किरदार के लिए ठीक नहीं है। यह रिजेक्शन उनके लिए बड़ा झटका था, लेकिन यही संघर्ष आगे चलकर उन्हें मजबूत बना गया।
साल 1948 में आई फिल्म ‘जिद्दी’ लता मंगेशकर के करियर की अहम फिल्मों में गिनी जाती है। इस फिल्म के सभी गानों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। लेकिन उस समय का चलन था कि रिकॉर्ड्स पर गानों का श्रेय गायक-गायिका को नहीं, बल्कि फिल्म के कलाकारों को दिया जाता था। इस वजह से गानों का क्रेडिट फिल्म की हिरोइन कामिनी कौशल को मिल गया।
कामिनी कौशल को जब एहसास हुआ कि इन गानों की असली मेहनत और जादू लता मंगेशकर की आवाज का है, तो उन्होंने खुद रिकॉर्डिंग कंपनी से गुजारिश की। उन्होंने कहा कि उनके किरदार का नाम ‘आशा’ है, लेकिन क्रेडिट असली गायिका यानी लता मंगेशकर को मिलना चाहिए। इसके बाद कंपनी ने सुधार किया और गानों पर लता जी का नाम लिखा गया।
इन शुरुआती मुश्किलों और रिजेक्शन के बावजूद लता मंगेशकर ने कभी हार नहीं मानी। उनकी मेहनत, साधना और जुनून ने उन्हें वह मुकाम दिलाया, जहां उनकी आवाज भारत की पहचान बन गई। आज भी जब उनके जन्मदिन का जिक्र होता है, तो सिर्फ उनकी आवाज ही नहीं, बल्कि उनका संघर्ष और विनम्रता भी याद की जाती है।