तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और जावेद अख्तर - फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया
Javed Akhtar React On Welcome Of Amir Khan Muttaqi: प्रसिद्ध लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने अफगानिस्तान के तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी को उनकी हालिया भारत यात्रा के दौरान दिए गए सम्मान और भव्य स्वागत की कड़ी निंदा की है। तालिबान नेता मुत्ताकी शनिवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम, देवबंद पहुंचे थे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया था। इस घटना से जावेद अख्तर बेहद निराश हुए और उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर ट्वीट करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
जावेद अख्तर ने अपने ट्वीट में कहा कि जब वह “दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी समूह तालिबान के प्रतिनिधि का सम्मान और स्वागत” उन लोगों द्वारा होते देखते हैं, “जो हर तरह के आतंकवादियों के खिलाफ बोलते हैं, तो मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।” उन्होंने सीधे तौर पर दारुल उलूम देवबंद की आलोचना करते हुए कहा, “देवबंद को भी शर्म आनी चाहिए कि उसने अपने इस्लामी नायक का इतना सम्मानपूर्वक स्वागत किया, जो उन लोगों में से एक है जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।”
I hang my head in shame when I see the kind of respect and reception has been given to the representative of the world’s worst terrorists group Taliban by those who beat the pulpit against all kind of terrorists . Shame on Deoband too for giving such a reverent welcome to their “… — Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) October 13, 2025
जावेद अख्तर की नाराजगी का मुख्य कारण तालिबान का आतंकवाद को बढ़ावा देना और विशेष रूप से महिलाओं एवं लड़कियों की शिक्षा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना है। तालिबान सरकार अपनी कट्टरपंथी नीतियों के लिए जानी जाती है, जिसने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को गंभीर रूप से सीमित कर दिया है। लड़कियों की उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध लगाना इन्हीं नीतियों में से एक है, जो दुनिया भर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के बीच चिंता का विषय रहा है।
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दारुल उलूम देवबंद एक ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित इस्लामी मदरसा है, जिसकी स्थापना 19वीं सदी में हुई थी। यह दुनिया भर के इस्लामी विद्वानों के बीच उच्च सम्मान रखता है और भारत तथा विदेशों से बड़ी संख्या में छात्र यहाँ शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। इसकी इसी विशिष्ट पहचान के कारण, जावेद अख्तर ने एक ऐसे संस्थान द्वारा तालिबान के प्रतिनिधि का स्वागत किए जाने पर सवाल उठाया है जो ज्ञान और विद्वता का केंद्र माना जाता है।
अपने तीखे ट्वीट के अंत में, जावेद अख्तर ने एक मार्मिक प्रश्न उठाया है। उन्होंने लिखा, “मेरे भारतीय भाइयों और बहनों, हमारे साथ क्या हो रहा है।” यह सवाल देश के नागरिकों और समाज की चेतना को झकझोरता है कि कैसे एक ऐसे समूह के प्रतिनिधि का स्वागत किया जा सकता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों के विपरीत खड़ा है। जावेद अख्तर का यह बयान देश में एक बहस छेड़ सकता है कि क्या राजनीतिक या धार्मिक कारणों से ऐसे समूहों को सम्मान देना उचित है।