
ऊषा उत्थुप की आवाज ने बदली बॉलीवुड की धुन
Usha Uthup Birthday Special Story: भारतीय संगीत जगत में जब भी पॉप सिंगिंग की बात होती है, तो ऊषा उत्थुप का नाम हमेशा सबसे पहले याद किया जाता है। अपनी दमदार, यूनिक और जोश से भरी आवाज से ऊषा उत्थुप ने न केवल बॉलीवुड बल्कि पूरे देश में पॉप कल्चर को नया रूप दिया। ऊषा उत्थुप आज अपना 78वां जन्मदिन मना रही हैं। ऊषा उत्थुप का जन्म 7 नवंबर 1947 को तमिलनाडु के मद्रास में हुआ था।
ऊषा उत्थुप का सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। उनकी पहचान केवल आवाज़ तक सीमित नहीं रही, बल्कि उनकी कांजीवरम साड़ी, बड़ी गोल बिंदी और फूलों का गजरा भी उनके सिग्नेचर स्टाइल बन गए। संगीत के इस सफर की शुरुआत उस वक्त हुई जब 20 साल की उम्र में ऊषा ने चेन्नई के नाइन जेम्स नाइट क्लब में गाना शुरू किया। उनकी गहरी और प्रभावशाली आवाज़ ने सुनने वालों को तुरंत अपना दीवाना बना लिया।
बॉलीवुड में ऊषा उत्थुप का पहला बड़ा मौका देव आनंद के जरिए मिला, जब उन्होंने ‘बॉम्बे टॉकीज’ में शंकर-जयकिशन के साथ इंग्लिश गाना गाया। इसके बाद उन्होंने हिंदी, मलयालम और तेलुगु फिल्मों में भी अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। 70 और 80 के दशक में ऊषा उत्थुप ने आर.डी. बर्मन और बप्पी लहरी जैसे दिग्गज संगीतकारों के साथ कई सुपरहिट गाने दिए।
1978 में ‘शालीमार’ का ‘एक दो चा चा चा’, 1980 की ‘शान’ का ‘शान से’ और ‘दोस्तों से प्यार किया’, 1981 की ‘वारदात’ का ‘तू मुझे जान से भी प्यारा है’, ‘प्यारा दुश्मन’ का ‘हरि ओम हरि’, ‘अरमान’ का ‘रम्बा हो’ और ‘डिस्को डांसर’ का ‘कोई यहां अहा नाचे नाचे’ ऊषा उत्थुप के ये सभी गाने आज भी पार्टी और डिस्को में बजते हैं।
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ऊषा ने 1998 में ए आर रहमान के साथ फिल्म ‘दौड़’ के लिए गाना गाया और बाद में विशाल भारद्वाज संग ‘गॉडमदर’ का सुपरहिट गीत ‘राजा की कहानी’ गाया। 2001 में उन्होंने फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ के लिए ‘वंदे मातरम’ गाया, जो आज भी हर देशभक्ति मौके पर गूंजता है। ऊषा उत्थुप ने अपनी आवाज, आत्मविश्वास और स्टाइल से भारतीय संगीत में नई दिशा दी। उन्होंने दिखाया कि एक पारंपरिक भारतीय महिला भी पॉप कल्चर की पहचान बन सकती है। उनकी आवाज में भारतीयता और आधुनिकता का अनोखा संगम है, जो उन्हें आज भी ‘क्वीन ऑफ इंडियन पॉप’ बनाता है।






