आशा पारेख (सोर्स- सोशल मीडिया)
Asha Parekh Most Expensive Heroine: हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर की चर्चा बिना आशा पारेख के नाम के अधूरी मानी जाती है। आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। आशा पारेख 2 अक्टूबर को 83वां जन्मदिन मनाएंगी। आशा पारेख के पिता गुजराती हिंदू और मां मुस्लिम थीं। बचपन से ही आशा को डांस का शौक था और मां ने उन्हें क्लासिकल डांस की ट्रेनिंग दिलवाई। आशा एक प्रशिक्षित कथक डांसर थीं और कम उम्र में ही मंच पर परफॉर्म करना शुरू कर दिया था। डांस के इस जुनून ने ही उन्हें फिल्मों तक पहुंचाया।
60 और 70 के दशक में जब इंडस्ट्री पुरुष कलाकारों के इर्द-गिर्द घूमती थी, तब आशा पारेख ने अपने अभिनय, नृत्य और व्यक्तित्व के दम पर एक अलग मुकाम हासिल किया। उन्हें ‘हिट गर्ल’ कहा जाता था, क्योंकि उनकी ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित होती थीं। आशा ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर शुरू किया, लेकिन उन्हें असली पहचान 1959 की फिल्म दिल दे के देखो से मिली, जिसमें वह शम्मी कपूर के साथ नजर आईं। इस फिल्म की सफलता ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया।
आशा पारेख ने जब प्यार किसी से होता है, तीसरी मंजिल, कटी पतंग, लव इन टोक्यो, आया सावन झूम के, दो बदन, आन मिलो सजना और कारवां जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया। उनकी लोकप्रियता और सफलता का आलम यह था कि उस दौर में निर्माता-निर्देशक उन्हें साइन करने के लिए कतार में खड़े रहते थे। आशा पारेख को मिलने वाली फीस कई बार बड़े मेल एक्टर्स से भी ज्यादा होती थी। उस दौर में जब फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को अक्सर सेकंड लीड माना जाता था, उन्होंने यह साबित किया कि टैलेंट और मेहनत से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
आशा पारेख का सफर फिल्मों तक सीमित नहीं रहा। 1998 से 2001 तक वह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पहली महिला अध्यक्ष रहीं। इसके अलावा उन्होंने सामाजिक कार्यों और टेलीविजन में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। अभिनय से दूर होने के बाद उन्होंने डांस एकेडमी शुरू की और भरतनाट्यम के प्रचार-प्रसार में योगदान दिया।
निजी जिंदगी की बात करें तो आशा पारेख ने कभी शादी नहीं की। उन्होंने खुलासा किया था कि वह फिल्ममेकर नासिर हुसैन से प्यार करती थीं, लेकिन चूंकि वह शादीशुदा थे, इसलिए उन्होंने सिंगल रहना चुना। आशा ने कहा था कि उन्हें इस फैसले का कोई पछतावा नहीं है। अपने करियर के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले, जिनमें 1992 में पद्मश्री और 2020 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं। कटी पतंग के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड भी मिला था।