यूपी के गहरवार ठाकुर हैं अनुराग कश्यप
Anurag Kashyap Belong to Kshatriya Varna: अनुराग कश्यप इस समय देश भर के ब्राह्मणों का गुस्सा खेल रहे हैं। उन्होंने फुले फिल्म पर लगाई गई रोक को लेकर ब्राह्मण के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। सोशल मीडिया अनुराग कश्यप ने अपनी नाराजगी को लेकर एक पोस्ट साझा की। इस पोस्ट पर ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने अनुराग कश्यप को भला बुरा कहना शुरू कर दिया। अनुराग कश्यप ने पोस्ट पर आ रहे कॉमेंट्स पर एक और टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने ब्राह्मण समुदाय के लिए आपत्तिजनक बात कह दी थी। इसी को लेकर अब ब्राह्मण समुदाय में अनुराग कश्यप के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है। इसी बीच लोग ये भी जानना चाह रहे हैं कि अनुराग कश्यप किस जाति के हैं।
अनुराग कश्यप यूपी के ठाकुर हैं। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में आज भी उनका पुश्तैनी मकान मौजूद है। अनुराग कश्यप के पिता श्री प्रकाश सिंह थे। जिन्होंने बाद में अपना सरनेम बदल दिया था। खुद अनुराग कश्यप ने एक बार बताया था कि इमरजेंसी के वक्त उनके पिता ने सरनेम बदला था और उसके बाद उनका परिवार कश्यप सरनेम का इस्तेमाल करने लगा इसके पीछे भी एक कहानी है। लेकिन सरनेम क्यों बदला गया था इसके बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी थी।
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ठाकुर परिवार में हुआ अनुराग कश्यप का जन्म
अनुराग कश्यप का जन्म 10 सितंबर 1972 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ ठाकुर परिवार में हुआ। उनके पिता श्री प्रकाश सिंह गहरवार ठाकुर हैं, वो उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में इंजीनियर थे। अनुराग कश्यप की पढ़ाई बनारस, ग्वालियर और दिल्ली जैसी जगह पर हुई है। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में गांव- कादीराबाद, ब्लॉक- थानापुर में उनका पुश्तैनी मकान आज भी मौजूद है।
अनुराग कश्यप का सरनेम कश्यप कहां से आया है
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश प्रचार मंत्री ‘देवेंद्र यादव’ ने बताया की अनुराग कश्यप यूपी के ठाकुर हैं। वह गहरवार ठाकुर हैं। उनका गोत्र कश्यप है इसलिए उनके पिता ने जब अपना सरनेम बदला तो सिंह सरनेम हटाकर उन्होंने गोत्र कश्यप को सरनेम की तरह लिखना शुरू कर दिया। खुद अनुराग कश्यप ने बताया था कि इमरजेंसी के वक्त उनके पिता ने अपना सरनेम बदल लिया था। इतना ही नहीं उस दौरान उन्होंने यह भी बताया था कि 1978 तक तक वह रिंकू सिंह नाम से जाने जाते थे।
चंदौली जिले में आज भी है अनुराग कश्यप का पुश्तैनी मकान
मास्टर देवेंद्र यादव ने बताया कि पुश्तैनी मकान पर उनके परिवार का आना जाना बिल्कुल ना के बराबर है, लेकिन खास मौके पर वह परिवार के साथ यहां पहुंचते हैं। परिवार में किसी का मुंडन हो तो सती माई के मंदिर पर जाते हैं। भले ही अनुराग कश्यप और अभिनव कश्यप ने पुश्तैनी मकान से दूरी बना रखी हो लेकिन उनकी फिल्मों के किरदारों के नाम इसी गांव के असल लोगों के नाम पर रखे जाते हैं। दबंग फिल्म जो अनुराग कश्यप के भाई ने बनाई थी उसमें चुलबुल पांडे नाम का इस्तेमाल किया गया था वह इसी गांव के एक व्यक्ति के नाम से लिया गया है।