वामन म्हात्रे (सोर्स: सोशल मीडिया)
ठाणे: राज्य में सत्तारूढ़ रही महायुति एक बार फिर विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरी है। लेकिन इस बार के चुनाव में महायुति में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। महायुति में शामिल रजनीतिक दलों के लोगों में उथल-पुथल अब खुलकर सामने आ गई है। मौजूदा भाजपा विधायक किसन कथोरे को मुरबाड विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवारी मिलने के बाद, शिवसेना (शिंदे गुट) के पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष सुभाष पवार सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) में शामिल हो गए। ऐसे में जब शिवसेना में बगावत शुरू हो गई है तो अब बदलापुर शिवसेना शहर प्रमुख वामन म्हात्रे के भी बीजेपी विधायक किसन कथोरे के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक शिवसेना के शहर प्रमुख वामन म्हात्रे के 28 अक्टूबर को नामांकन पत्र भरेंगे।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से मुरबाड विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक घटना क्रम तेज हो गए थे। तभी से कयास लगने लगे थे कि महायुति में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होगी और हुआ भी वही। भाजपा के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल पाटिल ने विधायक किसन कथोरे के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा रखा है। लेकिन उसके बाद भी बीजेपी के वरिष्ठों ने मौजूदा विधायक किसन कथोरे को उम्मीदवार बनाया।
इससे बीजेपी में कई विरोधियों को बड़ा झटका लगा है। कथोरे में भाजपा के वरिष्ठों द्वारा दिखाए गए विश्वास से उन लोगों को भी झटका लगा जो भाजपा से टिकट पाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन बीजेपी से टिकट की घोषणा के बाद किसी ने खुलकर बगावत नहीं की। लेकिन इसके साथ ही बीजेपी के साथ महागठबंधन की घटक पार्टी शिवसेना में भी बगावत शुरू हो गई है।
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सोमवार को शिवसेना शिंदे गुट के भिवंडी लोकसभा संपर्क प्रमुख और पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष सुभाष पवार शिवसेना के कुछ पदाधिकारियों के साथ एनसीपी (शरदचंद्र पवार) में शामिल हो गए है। उन्होंने वरिष्ठ नेता शरद पवार से मुलाकात की और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, सांसद सुप्रिया सुले की मौजूदगी में एनसीपी (शरदचंद्र पवार) में प्रवेश किया। इसलिए अब लगभग तय है कि सुभाष पवार बीजेपी के किसन कथोरे को चुनौती देंगे। सुभाष पवार के पिता कांग्रेसी रहे है व एनसीपी से विधायक भी बन चुके है।
बगावत का दूसरा निशाना बदलापुर शिवसेना के शहर प्रमुख और पूर्व शहर अध्यक्ष वामन म्हात्रे करने की तैयारी में हैं। ऐसी संभावना है कि वामन म्हात्रे बिना किसी पार्टी में शामिल हुए निर्दलीय के तौर पर विधानसभा चुनाव मैदान में होंगे। उनके करीबियों की बात पर यदि विश्वास किया जाए तो म्हात्रे 28 अक्टूबर को निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।
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वामन म्हात्रे के समर्थक शिवसैनिकों का कहना है कि पिछले चुनाव में शिवसेना ने विधायक किसन कथोरे को जिताने में अहम भूमिका अदा की थी। इसलिए वह जिले में सबसे ज्यादा वोटों के जीते थे। लेकिन भाजपा के कथोरे ने समय-समय पर शिवसेना पर भरोसा नहीं किया।
वामन म्हात्रे के समर्थकों का कहना है कि आचार संहिता लगने से कुछ दिन पहले किए गए उद्घाटनों व भूमिपूजन समारोह में शिवसैनिकों को तवज्जों नहीं दी। कहा जा रहा है कि शिवसेना के कुछ पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से शिकायत की है कि चुनाव से पहले आयोजित भूमिपूजन, उद्घाटन कार्यक्रम में शिवसेना को महत्त्व नहीं दिया।