अजित पवार (सौजन्य-एएनआई)
सांगली: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजीत पवार ने दावा किया है कि पूर्व गृह मंत्री दिवंगत आरआर पाटिल ने कथित 70,000 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले की खुली जांच का आदेश देकर उन्हें धोखा दिया है।
मंगलवार को सांगली में एक सभा को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, “आरोप लगाए गए थे कि सिंचाई विभाग में 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। 1 मई को महाराष्ट्र की स्थापना के दिन से लेकर आरोपों की तारीख तक, सिंचाई विभाग का कुल खर्च केवल 42000 करोड़ रुपये था, जिसमें वेतन और अन्य सभी खर्च शामिल थे। मैं इस बात से हैरान हूं कि जिस विभाग का कुल खर्च केवल 42000 करोड़ रुपये था, उसमें 70000 करोड़ रुपये का घोटाला कैसे हो सकता है।”
अजित पवार ने कहा, “इसके बाद एक फाइल तैयार की गई जिसे गृह विभाग को भेजा गया और इस व्यक्ति (आरआर पाटिल) ने उस फाइल पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि अजित पवार के खिलाफ खुली जांच की जाए… यह पीठ में छुरा घोंपने और विश्वासघात के अलावा कुछ नहीं है।”
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उन्होंने कहा, “इन सभी आरोपों के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया क्योंकि हमने पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था… और यूपीए सरकार गिर गई… इसके अलावा राष्ट्रपति शासन के दौरान फाइल राज्यपाल के पास भेजी गई लेकिन राज्यपाल ने जांच के लिए उस फाइल पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया और कहा कि अगली सरकार सत्ता में आने दीजिए और अगले मुख्यमंत्री को इस फाइल पर हस्ताक्षर करने दीजिए।”
अजित पवार ने कहा, “2014 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई। एक दिन उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया और एक फाइल दिखाई जो मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के लिए लंबित थी। इससे पहले, इस फाइल पर हमारे गृह मंत्री आरआर पाटिल ने हस्ताक्षर किए थे, जिससे घोटाले की खुली जांच शुरू हुई थी।
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उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने खुद उस (आरआर पाटिल के) हस्ताक्षर देखे और बहुत निराश हुआ। जिस सहकर्मी का मैंने इतना समर्थन किया था, उसने मेरे साथ ऐसा किया।” अजित पवार अपने गढ़ बारामती से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें उनके अपने भतीजे युगेंद्र पवार चुनौती दे रहे हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)