एकनाथ शिंदे (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आए 11 दिन हो चुके है। इन नतीजों में महायुति को तीन चौथाई से भी ज्यादा बहुमत मिला है फिर भी पार्टी राज्य के सीएम का ऐलान नहीं कर पा रही है। लेकिन बीजेपी का बहुमत देखते हुए ये बात तो तय है कि सीएम बीजेपी से ही होगा। इस बात पर भी कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।
जब से गृहमंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में महायुति की बैठक हुई है तब से एकनाथ शिंदे बैठक से पीछा छुड़ा रहे है। इस बैठक के बाद ही उन्होंने अमित शाह और पीएम मोदी के प्रति अपना विश्वास दिखाया था। इसके बाद ये भी खबरें आई कि शिवसेना उनको गृह विभाग की चाह की भी खबरें सामने आई है।
लेकिन आखिर बीजेपी एकनाथ शिंदे को इथतना भाव क्यों दे रही हैं, जबकि बीजेपी को मिले बहुमत से बीजेपी खुद के दम पर भी सरकार बनाने में सक्षम है आपको बताते है…
इस समय महाराष्ट्र में सीएम पद के लिए बीजेपी से देवेंद्र फडणवीस का नाम आगे चल रहा है, जबकि एकनाथ शिंदे भी इस पद के लिए प्रबल दावेदार है। बीजेपी का ये इतिहास रहा है कि किसी भी पद के लिए जिस नाम की चर्चा बहुत ज्यादा होती है उसका नाम कभी भी चुना नहीं जाता है। इस बार भी भले ही देवेंद्र फडणवीस का नाम आगे है लेकिन अभी तक इस पर अधिकारिक मुहर नहीं लगी है।
वैसे तो देवेंद्र फडणवीस सीएम बनने के लिए पूरी तरह से योग्य उम्मीदवार है। लेकिन, उनकी जाति ब्राह्मण होने से पार्टी में एक वर्ग में चिंता बनी हुई है। इसलिए भी बीजेपी एकनाथ शिंदे पर भी जोर देने का मन बना रही है, क्योंकि आगे चलकर ये बात गठबंधन में सामने आ सकती है कि बीजेपी सिर्फ ब्राह्मण और बनिया की पार्टी है।
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बीएमसी देश के कई राज्यों से अधिक पैसेवाली है और यहां पिछले तीन साल से चुनाव नहीं हो पाए है। इसलिए ये भी एकनाथ शिंदे को रखने का बड़ा कारण है क्योंकि बीजेपी किसी भी हालात में बीएमसी का चुनाव जीतने की पूरी कोशिश करेगी।
देखा जाए तो पिछले तीन दशक से बीएमसी में शिवसेना यूबीटी का कब्जा है। और ये बात तो पक्की है कि बीजेपी शिवसेना यूबीटी को तब ही टक्कर दे पाएगी जब बीजेपी के पास एकनाथ शिंदे का साथ होगा। मुंबई में कुल विधानसभा की टोटल 36 सीटें है। इनमें से 22 सीटें महायुति को मिली है और 14 सीटें महाविकास अघाड़ी को मिली है।
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महायुति की इन 22 सीटों में से बीजेपी की 15 सीटें (11 उपनगरीय और 4 सीटें आइलैंड सिटी) में है, वहीं शिवसेना के खाते में 6 सीटें गई है उपनगरीय इलाकों में है। एनसीपी के पास भी 1 सीट है और वो भी उपनगरीय इलाके में है। ये देख के ये बात तो साफ हो जाती है कि एकनाथ शिंदे पार्टी के लिए कितने मायने रखते है।
महाराष्ट्र में जनता का समर्थन पाने के लिए मराठा समुदाय को भी भूला नहीं जा सकता क्योंकि मराठा आरक्षण आंदोलन से पहले मराठा समुदाय बीजेपी से काफी नाराज था। इस दौरान ओबीसी बनाम मराठा का संघर्ष भी राज्य में देखने को मिला। अगर एकनाथ शिंदे का साथ बीजेपी को नहीं रहेगा तो मराठा समुदाय से भी बीजेपी को हाथ धोना पड़ेगा जो कि पार्टी को महंगा साबित पड़ सकता है।