मनोज जरांगे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल ने अपने चुनाव लड़ने के अपने रुख से यू टर्न लेकर सोमवार को सभी को सकते में डाल दिया। मराठा समाज और उनके सगे संबंधियों के लिए ओबीसी कोटे से पूर्ण आरक्षण की मांग कर रहे जरांगे पाटिल बीते करीब डेढ़ वर्षों से राज्य की महायुति सरकार के खिलाफ हुंकार भर रहे थे। लोकसभा चुनाव में महायुति को कम से कम 7 सीटों पर नुकसान पहुंचाने वाले जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था।
मनोज जरांगे ने अंतरवाली सराटी में मराठा समाज से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवार का साक्षात्कार लिया था और इच्छुकों को नामांकन दाखिल करने का निर्देश भी दिया था लेकिन सोमवार को ‘यू-टर्न’ लेते हुए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले अपने समर्थकों से अपना नाम वापस लेने को कह दिया।
सोमवार को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था। सभी को उम्मीद थी कि जरांगे अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेंगे लेकिन उन्होंने सभी को चौंकाते हुए कह दिया कि वह चुनाव में किसी पार्टी या उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे। अंतरवाली सराटी गांव में जरांगे ने पत्रकारों से कहा कि काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राज्य में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लिया है।
मनोज जरांगे ने कहा कि एक समाज के बल पर हम चुनाव नहीं लड़ सकते। मुस्लिम और दलित समुदाय के नेताओं से हमने उम्मीदवारों की लिस्ट मांगी थी, लेकिन वह नहीं मिल पाई, इसलिए इस चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।
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मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा कि अब मराठा समाज खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि यह निर्णय वह किसी के दबाव में नहीं ले रहे हैं। उन्होंने मतदाताओं से उम्मीदवारों से लिखित या वीडियो के जरिए मराठा हितों का समर्थन करने का वचन मांगने का आग्रह किया।
मई-जून 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में मराठा समाज के कारण महायुति मराठवाड़ा की 8 लोकसभा सीटों में से 7 सीटें हार गई। इतना ही नहीं, मराठवाडा से सटे विदर्भ के यवतमाल और पश्चिम महाराष्ट्र के सोलापुर, अहमदनगर और माढा लोकसभा चुनाव क्षेत्र मे भी इसका असर दिखा मराठवाड़ा में विधानसभा की 46 सीटे है। जबकि पश्चिम महाराष्ट्र में 70 सीटें हैं। इन दोनों क्षेत्रों में मनोज जरांगे का खासा प्रभाव है।
चुनाव में अपने समुदाय के प्रभाव पर विश्वास व्यक्त करते हुए जरांगे ने कहा कि इस राज्य में मराठा समुदाय के समर्थन के बिना कोई भी निर्वाचित नहीं हो सकता। उन्होंने मराठा समुदाय के लोगों से किसी भी राजनीतिक रैली में शामिल न होने और किसी भी पार्टी के बहकावे में न आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मराठा समुदाय के साथ अन्याय किया है या उसे परेशान किया है, उन्हें मतदान के माध्यम से सबक सिखाया जाना चाहिए।
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एनसीपी नेता छगन भुजबल ने मनोज जरांगे के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि भले ही देर हुई है लेकिन जरांगे ने उचित निर्णय लिया है। चुनाव किसी एक समुदाय के बल पर पर नहीं लड़े जाते। मराठा भाई स्वतंत्र रूप से मतदान कर सकेंगे। कोई दबाव नहीं होगा। सभी पार्टियों के 60-70 फीसदी उम्मीदवार मराठा हैं। जरांगे ने जो फैसला लिया है वह सही है।
इधर ओबीसी आरक्षण कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके ने बिना नाम लिए शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि मनाेज जरांगे बारामती से मिली स्क्रिप्ट के अनुसार बात करते हैं। बारामती से आदेश मिलने की वजह से जरांगे चुनाव से भागे हैं।