महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (सोर्स-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र का चुनावी महासमर अपने पूरे शवाब पर है। राजनीतिक दल एक दूसरे को मात देनें के लिए दांव-पेंच लड़ा रहे हैं और जोर आजमाइश कर रहे हैं। महाराष्ट्र में हो रहे लोकतंत्र के इस महायज्ञ में हम भी अपने हिस्से की आहुति लेकर हाजिर हैं। आज हम आपके लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों की एक ऐसी दिलचस्प जानकारी लेकर आए हैं जो आपको शायद ही पता होगी!
महाराष्ट्र का राज्य का गठन 1960 में बॉम्बे री-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट के जरिए हुआ था। उसके बाद महाराष्ट्र में कुल 20 मुख्यमंत्री हुए, लेकिन इन 20 मुख्यमंत्रियों में से केवल 7 मुख्यमंत्री ऐसे हैं, जिन्होंने एक बार से ज्यादा बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बाकी नेताओं को केवल एक बार कुछ दिनों के लिए यह कुर्सी मिली है।
इस श्रेणी में सबसे पहला नाम बसंत राव नाइक का आता है, एक लगातार 11 साल 10 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्हें तीन बार मुख्यमंत्री पद के शपथ दिलाई गई। सबसे पहले उन्होंने 5 दिसंबर 1961 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 1 मार्च 1967 तक उस पद पर बरकरार रहे। वहीं चुनाव बाद फिर से 1 मार्च 1967 को उनको मुख्यमंत्री पद के शपथ दिलाई गई और उसे पर 5 साल का कार्यकाल उन्होंने पूरा किया और फिर 13 मार्च 1972 को वह तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उस पद 21 फरवरी 1975 तक बन रहे। इस तरह से देखा जाए तो मुख्यमंत्री के रूप में मुख्यमंत्री पद पर सबसे लंबा कार्यकाल बसंत राव नाइक का रहा।
इसके बाद यह कारनामा शंकर राव चव्हाण ने कर दिखाया। वे पहली बार 21 फरवरी 1975 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 17 मई 1977 तक उसे पद पर बने रहे। इसके बाद दूसरी बार उन्होंने 12 मार्च 1986 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, फिर वह 26 जून 1988 तक मुख्यमंत्री के पद पर काबिज रहे। इस दौरान उन्होंने कुल 4 साल 196 दिन का कार्यकाल मुख्यमंत्री के रूप में पूरा किया।
शंकर राव चव्हाण के अलावा वसंत दादा पाटिल भी ऐसे मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जिनको एक बार से अधिक मुख्यमंत्री पद की कुर्सी नसीब हुई। पहली बार वे 17 मई 1997 को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बैठे और 18 जुलाई 1978 तक उसे पर बरकरार रहे। इसके बाद दोबारा 2 फरवरी 1983 को उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और वह 3 जून 1985 तक मुख्यमंत्री बने रहे। इस दौरान उन्होंने कुल 3 साल 183 दिनों तक मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी को संभाले रखा।
एक बार से अधिक मुख्यमंत्री बनने वालों में तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शरद पवार का नाम आता है, जो चार बार मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाल चुके हैं। शरद पवार पहली बार 18 जुलाई 1978 को पहली बार मुख्यमंत्री पद पर इंडियन कांग्रेस सोशलिस्ट के सीएम के रूप में शपथ ली और इस पद पर वह 17 फरवरी 1980 तक बन रहे। इसके बाद दूसरी बात उन्होंने 26 जून 1988 से 4 मार्च 1990 तक मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाली। तीसरी बार उनको 4 मार्च 1990 को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला और यह कुर्सी पर 25 जून 1991 तक बैठे रहे। उसके बाद चौथी बार वह 6 मार्च 1993 को इस पद पर काबिज हुए और 14 मार्च 1995 तक यह पद संभाला। इस तरह से देखा जाए तो उन्होंने चार कार्यकाल के दौरान 7 साल 221 दिन की मुख्यमंत्री बने रहे।
एक से अधिक बार मुख्यमंत्री पद के शपथ लेने वाले एक और राजनेता में विलास राव देशमुख का नाम शुमार है। वे पहली बार 1 नवंबर 2004 को मुख्यमंत्री बने थे और 8 दिसंबर 2008 तक इस पद पर काबिज रहे। उसके बाद दूसरी बार उन्हें 18 अक्टूबर 1999 को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला और इस पद पर वह 18 जनवरी 2003 तक बने रहे। अपने दोनों कार्यकाल के दौरान वह साथ-साथ 129 दिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन रहे।
इसके अलावा अशोक चव्हाण भी दो बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं और दो बार उनको सीएम की शपथ दिलाई गई है। पहली बार 8 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री पद पर बैठे। उसके बाद 7 नवंबर 2009 को दोबारा 2009 में विधानसभा चुनाव के बाद उनको मुख्यमंत्री पद के शपथ दिलाई गई और इस पर वह सीएम की कुर्सी पर 11 नवंबर 2010 तक बन रहे। इस तरह से अशोक चव्हाण ने दो बार मुख्यमंत्री पद के शपथ लेने के बावजूद केवल 1 साल 338 दिन का ही कार्यकाल पूरा करने में सफल रह पाए।
एक बार से अधिक मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं में आखिरी नाम देवेंद्र फडणवीस का है। पहली बार देवेंद्र फडणवीस 31 अक्टूबर 2014 को भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और इस पद पर 12 नवंबर 2019 तक बन रहे। इसके बाद 23 नवंबर 2019 को एक बार फिर उनको गवर्नर ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी, लेकिन इन्हें केवल 5 दिन में ही अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। 28 नवंबर 2019 को वह मुख्यमंत्री पद से हट गए। इस तरह से देखा जाए तो दो कार्यकाल के दौरान वह केवल 5 साल 17 दिन ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सके।
बॉम्बे प्रेसीडेंसी से लेकर महाराष्ट्र बनने तक महाराष्ट्र की सत्ता कई नेताओं के हाथ में रही है। हालांकि तब सूबे का मुखिया ‘प्रधानमंत्री’ व ‘प्रीमियर’ कहा जाता था। वो चेहरे कौन थे जानने के लिए क्लिक करें… https://navbharatlive.com/