
ओवला-मजीवाड़ा विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
ठाणे: महाराष्ट्र में चुनावी महासंग्राम छिड़ने वाला है। राजनीतिक दलों और राजनेताओं ने इस जंग में एक दूसरे से दो-दो हाथ करने के लिए कमर कस ली है। सियासी शतरंज की बिसात पर कौन किसे शह देगा और कौन मात खाएगा इस बार इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। यही वजह है कि हम सीट वाइज विश्लेषण में लगे हुए हैं। जिससे यह पता लगाया जा सके इस बार महाराष्ट्र में चुनावी ऊंट किस करवट बैठने वाला है।
सीट वाइज विश्लेषण की फेहरिस्त में जिस विधानसभा सीट की हम चर्चा करने वाले हैं उसे ओवला-मजीवाड़ा के नाम से जानते हैं। इस सीट का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। ओवला मजीवाड़ा ने अब तक कुल तीन चुनाव देखें है। इसमें खास बात यह है कि यहां तीनों ही बार एक ही पार्टी और एक ही नेता को यहां की जनता जनादेश देती आई है। वहीं पिछले चुनावों में तो जीत हार का मार्जिन भी जमीं आसमान के जैसा था।
परिसीमन में सीट गठन के बाद पहली बार 2009 में हुए चुनाव में यहां शिवसेना कैंडिडेट प्रताप बाबूराव सरनाईक ने जीत दर्ज की। इन चुनावों में उन्होंने मनसे उम्मीदवार सुधाकर वमन चव्हाण को 9 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी। इसके बाद साल 2014 में हुए चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी संजय पांडेय 10 हजार 906 वोटों से मात दी थी। 2019 में फिर से प्रताप बाबूराव सरनाईक ने जीत की हैट्रिक लगाई। इस बार उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार विक्रांत भीमसेन चव्हाण को 84 हजार से ज्यादो मतों से मात दी थी।
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जनरल कैटेगरी में लिस्टेड इस विधानसभा सीट पर दलित-आदिवासी के साथ मुस्लिम-यादव, राजपूत और पाटिल वोटर्स जीत हार तय करते हैं। 2019 के डाटा के मुताबिक 4 लाख 24 हजार मतदाताओं वाली इस सीट पर 25 हजार के आस-पास दलित तो 20 हजार से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं। इसके अलावा यहां करीब 17 हजार से ज्यादा आदिवासी मतदाता भी हैं। साथ ही साथ 12 हजार से ज्यादा यादव और 11 हजार से अधिक राजपूत वोटर्स भी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करते हैं।
ओवला-मजीवाड़ा विधानसभा सीट के आंकड़ें देखें तो इस बात में कोई भी शक की गुंजाइश नहीं है कि इस बार यहां का रिजल्ट किसके फेवर में रहने वाला है। सारा आकलन केवल इस बात पर टिका है कि शिवसेना यहां से प्रताप बाबूराव सरनाईक को उम्मीदवार बनाती है या नहीं। साथ ही यहां की जनता किसे असली शिवसेना मानती है।






