भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
ठाणे: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का ऐलान कुछ ही दिनों में होने वाला है। चुनाव आयोग ने इस बार त्योहारों का हवाला देते हुए देरी की अन्यथा यहां पर हरियाणा के साथ ही चुनाव संपन्न कराए जाते थे। ऐसे में चुनाव का ऐलान भले ही अभी नहीं हुआ है। लेकिन यह बात तय है कि गणेशोत्सव के बाद यहां कभी भी औपचारिक बिगुल बच सकता है। यही वजह है कि सभी सियासी दल अपने अपने सिपहसालार तैयार करने में जुटे में हुए हैं।
महाराष्ट्र में आयोजित होने जा रहे लोकतंत्र के इस महापर्व को लेकर हम भी सजग हैं। यही वजह है कि हम विधानसभा क्षेत्रवार इस बात के एनालिसिस में जुटे हुए हैं कि कहां पर कब और किसने जीत दर्ज की। किस विधानसभा सीट पर कब कौन हावी रहा है। वहां के जातीय समीकरण क्या कुछ कह रहे हैं। इसी कड़ी में आज हम आपके बीच भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट का लेखा जोखा लेकर हाजिर हैं।
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भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट का अतीत बहुत ज्यादा पुराना नहीं है। यह सीट भी उन्हीं सीटों में से एक है जो 2009 के विधानसभा चुनाव से पहले हुए परिसीमन में अस्तित्व में आई थीं। यहां साल 2009 समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के वर्तमान अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने जीत दर्ज की। वह अभी भी मनखुर्द शिवाजी नगर से विधायक हैं। इसके बाद 2014 में यहां शिवसेना ने जीत दर्ज की। लेकिन 2019 में यहां एक बार फिर से सपा ने जोरदार वापसी करते हुए शिवसेना को मात देकर सीट पर कब्जा कर लिया।
वर्ष | प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट |
2019 | रईस कासम शेख | सपा | 45537 |
2014 | रूपेश लक्ष्मण म्हात्रे | शिवसेना | 33541 |
2009 | अबू आसिम आजमी | सपा | 37584 |
सामान्य श्रेणी की इस सीट पर भी भिवंडी पश्चिम की तरह ही मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा रहा है। यही वजह है कि यहां पर दो बार समाजवादी पार्टी जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल 2 लाख 68 हजार वोटर्स में से 1 लाख 36 हजार 638 मतदाता मुसलमान हैं। इस सीट पर लगभग साढे़ 4 हजार दलित तो साढ़े 3 हजार आदिवासी वोटर्स भी हैं।
भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट पर अगर कोई उलटफेर न हो या फिर कई मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में न आएं तो उसी के हक में जाती है जो दल मुसलमानों को साधने में कामयाब होता है। इस बार भी उम्मीद के मुताबिक यहां समाजवादी पार्टी अपना उम्मीदवार उतारेगी। अब ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सपा को महाविकास अघाड़ी में शामिल किया जाता या नहीं। अगर सपा गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ती है और यह सीट उसके हिस्से में जाती है तो यहां इस बार भी सपा प्रत्याशी को जीत मिल सकती है।
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